कई बार कुछ सर्वेक्षण ऐसे नतीजे को सामने लाते हैं, जो हमारे सहज बोध से विपरीत जान पड़ते हैं। भारत के मानव विकास सूचकांक के ताजे आंकड़े इसी की मिसाल हैं। योजना आयोग के अंतर्गत कार्यरत इंस्टीट्यूट ऑफ एप्लाइड मैनपावर रिसर्च (आईएएमआर) के हालिया आंकड़े के मुताबिक, ऐसे गरीब कहलाने वाले राज्यों में मानव विकास सूचकांक अब तेजी से राष्ट्रीय औसत के करीब पहुंच रहा है, जहां हाशिये पर पड़े...
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घरेलू कामगार: अर्थव्यवस्था का अंधेरा कोना- जैनेन्द्र कुमार
राजधानी दिल्ली में बीते दिनों एक सांसद और उसकी पत्नी पर आरोप लगा कि उन्होंने अपने घरेलू कामगार को मौत के घाट उतार दिया है. यही नहीं, कुछ पिछड़े राज्यों से देश की राजधानी में आकर घरेलू कामकाज करनेवाली महिलाओं पर अत्याचार की कहानियों से तो हम आये दिन दो-चार हो रहे हैं. क्यों होती हैं ऐसी घटनाएं, देश में घरेलू कामगारों के लिए किस तरह का है माहौल, क्या...
More »देश में पिछले दशक में औसत आयु 5 साल बढ़ी
देशभर के स्वास्थ्य संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार देखने में आया है। पिछले दशक में मनुष्य की औसत आयु (जीवन प्रत्याशा) में भी 5 वर्षो तक की वृद्धि हुई है। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से जारी बयान के अनुसार, वर्ष 2001-2005 में पुरुषों की औसत आयु 62.3 वर्ष और महिलाओं की 63.9 वर्ष थी। वर्ष 2011-2015 में यह आयु बढ़कर पुरुषों के मामले में 67.3 वर्ष और महिलाओं के मामले...
More »झोलाछाप डॉक्टरों के खिलाफ हरियाणा में छापे
हरियाणा में गर्भ में पल रहे भ्रूण का लिंग बदलने का दावा करके झोलाछाप डाक्टर मासूमों की जान से खेल रहे हैं। राज्य की मातृ और शिशु मृत्यु दर में इजाफे का यह एक बड़ा कारण है। हालात यह हैं कि दाइयों और झोलाछाप डॉक्टरों के चक्कर में पड़ कर महिलाएं अपने होने वाले बच्चों से हाथ धो रही हैं। नीम हकीम भस्म और अन्य दवा देकर मरीजों को झांसा दे रहे हैं। मरीजों...
More »गांव की सेहत का पहिया है सहिया दीदी
झारखंड जैसे पिछड़े राज्य के गांवों में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अब भी काफी खराब है. गांव में समय पर स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिलने के कारण ही यहां गर्भवती महिलाओं व नवजात बच्चों की असमय मौत हो जाती है. भारत सरकार ने इस समस्या को समझते हुए हर गांव में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता तैनात किया है. देश के दूसरे राज्यों में इन्हें आशा कहा जाता है, जबकि झारखंड में इन्हें सहिया...
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