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छत्‍तीसगढ़ में 25 फीसदी महिलाओं का घर में ही कराया जाता है प्रसव

रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रसव की वेदना झेल रहीं करीब महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। राज्य में पिछले एक साल में तीन लाख 14 हजार से अधिक प्रसव हुए। इनमें से 80 हजार 591 महिलाओं की डिलिवरी अस्पताल में न होकर घर में हुई। सरकारी भाषा में इसे गैर संस्थागत प्रसव कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में यह स्थिति ऐसे समय पर है, जब...

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दो अतियों के बीच स्वास्थ्य सेवा- अतुल गवांडे

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर अतुल गवांडे, जो एक सर्जन होने के साथ-साथ लेखक, विचारक और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं, ने बीबीसी रीथ लेक्चर्स के तहत 2014 में चिकित्सा का भविष्य पर चार भाषण दिये. आज हम चौथा लेक्चर प्रकाशित कर रहे हैं, जो उन्होंने दिल्ली में दिया. इसका विषय था-‘द आइडिया ऑफ वेलबीइंग' (अच्छी सेहत की परिकल्पना). इसमें उन्होंने बताया कि एक तरफ लोगों की चिकित्सा तक...

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सुरक्षित प्रसव : महतारी एक्सप्रेस में भी गूंज रही हैं किलकारियां

योगेंद्र ठाकुर, जगदलपुर। सुरक्षित और संस्थागत प्रसव कराने वाली महतारी एक्सप्रेस में भी किलकारियां गूंज रहीं हैं। पिछले डेढ़ माह में संभाग में 70 से अधिक महिलाओं का प्रसव एंबुलेंस में हुआ। संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने सहित मातृ-शिशु मृत्यु दर रोकने में महतारी एंबुलेस सेवा बस्तर में कारगर साबित हो रही है। संभाग में पिछले माह एंबुलेंस ने दो हजार से अधिक माता व शिशुओं को हॉस्पिटल पहुंचाया है। इस दौरान 70 से...

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छुआछूत की भेंट चढ़ा नवजात, सदमे में जननी

डॉ. राजेंद्र छाबड़ा, कैथल। मुझे मत मारो, मुझे मेरे जिगर का टुकड़ा लौटा दो...। ये चीत्कार है उस बेबस जननी की जो गहरे सदमे की हालत में पिछले करीब एक माह से बिस्तर पर है। उसका कसूर केवल इतना है कि वह दलित है। इसी कारण उसके नवजात शिशु को जान देनी पड़ी। कई बार गुहार लगाने के बावजूद अभी तक आरोपियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई है। पीड़ित महिला...

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खून के लिए आदिवासी कर रहे 100 किमी का सफर

मो. इस्राइल/ बिलासपुर(निप्र)। मरवाही, गौरेला, पेंड्रा, अमरकंटक समेत आसपास के आदिवासियों को बीमारी में खून की जरूरत होने पर 100 किलोमीटर का सफर कर सिम्स या फिर जिला अस्पताल आना पड़ रहा है। जबकि ब्लड स्टोरेज के लिए लाखों रुपए खर्च कर फ्रिजर आदि का इंतजाम किया गया है। स्वास्थ्य विभाग की उदासीनता के कारण गरीब खून के लिए भटक रहे हैं। जिले के तीन अनुसूचित जाति बाहुल्य विकासखंड मरवाही, गौरेला...

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