अहमदाबाद से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित भावनगर के किसान स्थानीय शहरी विकास प्राधिकरण द्वारा अपने गांव को शहरी सीमा में शामिल किये जाने का विरोध कर रहे हैं. ऐसा ही विरोध सूरत, हिम्मतनगर और मोरबी-वांकानेर के करीबी गांवों में भी देखने में आया है. यह असामान्य रुख है. ऐसा लग रहा है कि शहरीकरण के फायदों को ठुकराया जा रहा है. इस दौरान, भारत के शहरी...
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झारखंड सरकार के प्रस्ताव को केंद्र की सहमति, नगड़ी में अनाज वितरण की डीबीटी योजना खत्म
रांची : नगड़ी में पहल नाम से अक्तूबर 2017 में शुरू की गयी अनाज वितरण की डीबीटी पायलट योजना समाप्त कर दी गयी है. इस संबंध में भेजे गये राज्य सरकार के प्रस्ताव पर केंद्र ने सहमति दे दी है. अब नगड़ी में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के बजाय लाभुकों को एक रुपये प्रति किलो की अनुदानित दर से अनाज मिलेगा. मालूम हो कि भोजन का अधिकार अभियान...
More »न्याय की प्रतीक्षा में आदिवासी!- सी आर मांझी
भारतीय संविधान के आधार पर आदिवासियों की पहचान को अनुसूचित जनजातियों के नाम से जाना जाता है. परंतु यह सर्वज्ञात है कि भारत की आजादी के पूर्व और आजादी के बाद भी व्यावहारिक दृष्टिकोण से आदिवासी समुदाय में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया है. यह समाज अपने स्तर से अपनी असली आदिवासी की पहचान एवं परिचय को संजोकर आदिम परंपरागत निष्ठा, निश्छलता, आदर्श एवं धार्मिक आस्था को बनाये रखा...
More »झारखंड: नगड़ी में पीडीएस में डीबीटी का पायलट वापस नहीं, लोगों का प्रतिरोध जारी
नगड़ी में जन वितरण प्रणाली में डीबीटी का पायलट राज्य सरकार द्वारा अभी तक वापस नहीं लिया गया है बावजूद इसके कि सरकार के इस जनविरोधी प्रयोग के खिलाफ नगड़ी वासियों के भारी जन प्रतिरोध एवं ग्राम सभा के विरोध का सामना करना पड़ा है 1. नगड़ी पायलट अक्टूबर 2017 में शुरू किया गया था. जन विरोध अब तक जारी है 2. डीबीटी व्यवस्था के तहत लोगों को अपने...
More »बिहार के विश्वविद्यालयों में छात्र-छात्राओं के भविष्य से क्यों किया जा रहा है खिलवाड़?
पिछले महीने की 22 तारीख़ को ओडिशा में आयोजित कार्यक्रम में एक सार्वजनिक मंच से ओडिशा का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा था, ‘मुझे यह साझा करते हुए खुशी हो रही है कि ओडिशा के विश्वविद्यालय बिहार के विश्वविद्यालयों से बेहतर कर रहे हैं. बिहार में शिक्षा व्यवस्था में माफिया राज है. परीक्षाएं उचित तरीके से नहीं होती हैं और अकादमिक कैलेंडर भी नहीं...
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