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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

-आइडियाज फॉर इंडिया, राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्तर भारत के दो शहरी समूहों के किये गए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख दर्शाता है कि रोजगार या अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर के बाहर के महिलाओं के नेटवर्क का...

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मुंबई-दिल्ली नहीं बल्कि कोयंबटूर-इंदौर-सूरत लिखेंगे भारत में शहरीकरण की कामयाबी की कहानी

-द प्रिंट, शहरों की रैंकिंग तय करना भी एक फलता-फूलता व्यवसाय हो गया है. दि इकोनॉमिस्ट इंटेलिजेंस यूनिट ने सबसे महंगे और सबसे सस्ते शहरों की ताजा रैंकिंग इस सप्ताह घोषित की. अहमदाबाद दुनिया के सबसे सस्ते शहरों में टॉप-10 की लिस्ट में दमिश्क और त्रिपोली जैसे तबाह शहरों के साथ मौजूद है. इससे पहले सरकार ने भारत के सबसे स्वच्छ शहरों की नई सूची जारी की थी जिसमें इंदौर एक...

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महंगाई ले चुकी है स्थायी रूप , शहरी से ग्रामीण तक सभी प्रभावित

-रूरल वॉइस, मंहगाई देश में होने वाले पांच राज्यों मे आगामी विधानसभा चुनावों के लिए एक अहम मुद्दा बन चुका है  क्योंकी रोजमर्रा के खर्च में मंहगाई अब हमारे जीवन हिस्सा ही बन गई है।  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि उपभोक्ता मूल्य सूचकां (सीपीआई) या थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) किस तरह के आंकड़े पेश करते हैं।  हकीकत यह है कि इस बार की मंहगाई की जड़े काफी गहरी हैं और ...

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महामारी से कितनी प्रभावित हुई दलित-आदिवासी शिक्षा?

-न्यूजक्लिक, पिछले दो सालों में कोरोना महामारी ने अन्य व्यवस्थाओं के साथ शिक्षा व्यवस्था को भी अस्त-व्यस्त कर दिया। सुखद है कि अब धीरे-धीरे शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी है। महामारी ने यूं तो सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों को भी प्रभावित किया पर दलित-आदिवासी छात्र-छात्राओं का तो भविष्य ही दांव पर लग गया। इसमें हमारी जातिवादी और पितृसत्तावादी मानसिकता और उभर कर सामने आई। हाल ही में दलित आर्थिक अधिकार...

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आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!

हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...

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