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IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...

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शासकीय नैतिकता का आख़िरी झीना पर्दा भी जाता रहा

-सत्यहिंदी,  जोसेफ स्टोरी की 200 साल पहले कही गयी बात सही साबित हो रही है। पार्टी में आ जाएँ तो सात खून माफ़ लेकिन सरकार के ख़िलाफ़ जाएँगे तो ‘देशद्रोह’। संदेश साफ़ है ‘पाला बदलो या सीबीआई को झेलो और जेल भोगो’। क्या इस सन्देश का तार्किक विस्तार यह नहीं हो सकता कि ‘हमारे ख़िलाफ़ होने का मतलब सीबीआई/ एन्फोर्समेंट डायरेक्टरेट या इनकम टैक्स की चाबुक झेलने को तैयार रहो।  संविधान, क़ानून...

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“दलित हर देश और समाज में हैं”

-आउटलुक, “भारतीय विद्वान डॉ. सूरज येंग्ड़े और उनके मेंटॉर अफ्रीकी-अमेरिकी दार्शनिक और बौद्धिक प्रो. कॉर्नेल वेस्ट एक लंबी दलित-अश्वेत एकजुटता की परंपरा से आते हैं। यहां दोनों ने भावी आजादी, इसके संभावित आकार, ढांचे और रंग पर अपने विचार व्यक्त किए हैं। आउटलुक के सुनील मेनन के साथ वीडियो चर्चा में बी.आर. आंबेडकर और डू बॉयस जैसे राजनीतिक विचारकों के संबंधों के परिप्रेक्ष्य में हमने उन्हें अश्वेत जीवन के महत्व (ब्लैक...

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विकास, समृद्धि और वृद्धि के मामले में महामारी के दौरान विश्व का अग्रणी बनने की दौड़ में चीन के मुकाबले भारत पिछड़ा!

पिछले एक वर्ष के दौरान, कोविड-19 महामारी द्वारा लाई गई मंदी की बदौलत विकास, समृद्धि और वृद्धि के मामले में विश्व का अग्रणी बनने की दौड़ में भारत पिछड़ता नजर आ रहा है. साल 2020 में देश में कुल गरीब लोगों की संख्या बढ़ गई है और मध्यम वर्ग पहले की तुलना में कम हो गया है. संयुक्त राज्य अमेरिका के थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर के एक नए अध्ययन से...

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लोकतंत्र के अंतरराष्ट्रीयकरण का मिथक

-न्यूजक्लिक, जब कभी भी लोकतंत्र का अपने घर में घेराव होता है, लोकतंत्र के हिमायती, उससे प्रेम करने वाले लोग नैतिक समर्थन पाने के लिए अपनी परिधि के पार देखने लगते हैं। अभी-अभी विश्व सूचकांक में स्वतंत्रता की एक रिपोर्ट जारी हुई है, और इसलिए कोई हैरत नहीं कि इसने भारत में लोकतंत्र को चाहने वाले सभी लोगों का ध्यान अपनी ओर खींच लिया है। यह विश्व सूचकांक अमेरिका की 80...

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