जनसत्ता 23 जून, 2012: अगर हमारे देश में ग्रामीण निर्धन वर्ग और विशेषकर भूमिहीन वर्ग को टिकाऊ तौर पर संतोषजनक आजीविका मिले इसके लिए भूमि-सुधार बहुत जरूरी है। इसके अलावा, अन्यायपूर्ण भूमि अधिग्रहण द्वारा जिस तरह तेजी से बहुत-से किसानों खासकर आदिवासियों की जमीन लेकर उन्हें भूमिहीन बनाया जा रहा है, उस पर रोक भी लगानी होगी। ऐसे महत्त्वपूर्ण सवालों के न्यायसंगत समाधान के लिए इस वर्ष के आरंभ से एक प्रयास...
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तो हकीकत बनेगा लखटकिया ट्रैक्टर!
गोरखपुर [गिरीश पांडेय]। नैनो जैसा लखटकिया ट्रैक्टर? खेती-बारी से जुड़े तमाम लोगों के मन में यह सवाल उठता है। क्या लाख रुपये का ट्रैक्टर किसानों को मिल सकता है? मिलेगा तो कैसे? इसकी उपयोगिता और क्षमता क्या होगी? ट्रैक्टर निर्माताओं के डीलरों से मिल रहे फीड बैक के मुताबिक ऐसा संभव है। कुछ कंपनियां तो सस्ते ट्रैक्टर के निर्माण के क्षेत्र में पहल भी कर चुकी हैं। मसलन हाल ही...
More »प्रखंड स्तर पर होंगे फार्म मशीनरी बैंक
पटना जोत का रकबा घटने के कारण अधिकतर किसान कृषि यंत्रों की खरीद करने की स्थिति में नहीं हैं। कृषि यंत्रों में खराबी होने पर मरम्मत अलग समस्या है। इन सभी समस्याओं के निराकरण के लिए प्रत्येक जिले में फार्म मशीनरी बैंक खोले जायेंगे। इसको व्यवसाय के रूप में संचालित किया जायेगा। राशि की व्यवस्था राष्ट्रीय कृषि विकास योजना से से होगी। बिहार से ही उम्मीद पैदावार में वृद्धि के लिए राष्ट्रीय कृषि...
More »किसानों की गरीबी घटाने में छोटी जोतें बड़ी बाधा
लखनऊ। सरकार का नजरिया कुछ भी हो पर कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 91 फीसदी किसानों की जोतें इतनी छोटी हैं कि इनके बूते गरीबी उन्मूलन तो दूर की बात, उनके परिवारों का पेट भर पाना ही कठिन है। इस मजबूरी में कृषि विविधीकरण सहित तमाम कृषि सुधार योजनाओं का फोकस सिर्फ नौ फीसदी किसान हैं, जिनके बूते सरकार कभी उत्पादन दुगुना करने का सपना देखती...
More »पर्यावरण की राजनीति और धरती का संकट
खुद मनुष्य ने अपनी भावी पीढ़ियों की जिंदगी को दांव पर लगा दिया है। दुनिया भर में चिंता की लकीरें गहरी होती जा रही हैं। सवाल ल्कुल साफ है- क्या हम खुद और अपनी आगे की पीढ़ियों को बिगड़ते पर्यावरण के असर से बचा सकते हैं? और जवाब भी उतना ही स्पष्ट- अगर हम अब भी नहीं संभले तो शायद बहुत देर हो जाएगी। चुनौती हर रोज ज्यादा बड़ी होती...
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