हर किसी का अपना-अपना आर्थिक जीवन है. वयस्क वर्तमान हैं, तो बच्चे भविष्य की तैयारी हैं. यहां तक कि बेरोजगारों का भी आर्थिक जीवन है, क्योंकि यहां सिर्फ कमाने या बनाने ही नहीं, खपत का भी योगदान है. हम अपने पास-पड़ोस के आर्थिक जीवन से भी वाकिफ रहते हैं. लेकिन, जब सारे देश की बात होती है, तो सब कुछ धुआं-धुआं हो जाता है. उसमें भी जब जीडीपी की चर्चा...
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मोदीजी की सुनें या अर्थशास्त्रियों की -- रविभूषण
विगत ढाई वर्ष में मोदी सरकार ने प्रचार पर 11 अरब से अधिक रुपये खर्च किये हैं. नोटबंदी के द्वारा भ्रष्टाचार और कालेधन की समाप्ति की जो बात की जा रही है, कैशलेस समाज और भारत बनाने पर जिस तरह बल दिया जा रहा है, उस पर स्थिरचित्त से विचार करना ज्यादा जरूरी है, क्योंकि मोदी का कोई कार्यक्रम अकेला नहीं होता. एक स्ट्रोक से कई निशाने लगाने की ऐसी...
More »कैसे रुकेंगे सड़क हादसे- रमेश सर्राफ धमोरा
ऐसा कोई दिन नहीं गुजरता जिस दिन देश के किसी भी भाग में सड़क हादसा न हो और कुछ लोगों को जान से हाथ न धोना पड़े। अमूमन सड़क दुर्घटनाओं का शिकार होने वाले आम जन होते हैं। इसलिए वे अखबारों की सुर्खियां नहीं बन पाते, जिससे उन दुर्घटनाओं पर लोगों का ध्यान भी नहीं जाता है। आंकड़ों के मुताबिक हमारे देश में हर मिनट में एक सड़क दुर्घटना होती...
More »भारत के सिर्फ 1 फीसद लोगों के पास है देश की 60 फीसद संपत्ति
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले के बाद से देशभर में जारी अफरातफरी के माहौल के बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट बताती है कि देश के अमीर और अमीर हो गए हैं और गरीब तबका और गरीब। यह रिपोर्ट क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट ने जारी की है। यह कहती है रिपोर्ट क्रेडिट सुइस रिसर्च इंस्टीट्यूट की ग्लोबल वेल्थ रिपोर्ट 2016 बताती...
More »गोरखधंधा : नोटबंदी के बाद पूर्वोत्तर के राज्यों में किया जा रहा कालेधन को सफेद
नयी दिल्ली : देश में आठ नवंबर से 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों का चलन बंद कर देने के बाद से ही कालाधन रखने वालों ने पूर्वोत्तर के राज्यों में अपने धन का इस्तेमाल कर सफेद बनाने में जुट गये हैं. जिनके पास बड़ी मात्रा में पुराने नोट पड़े हैं, वे अरुणाचल प्रदेश और नागालैंड जैसे पूर्वोत्तर राज्यों में अपने पैसों को भेजकर कालेधन को सफेद करने का...
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