-कारवां, फुर्सत के नायाब पल में पांच दिसंबर 1956 की रात भीमराव आंबेडकर दिल्ली के अलीपुर रोड स्थित अपने किराए के मकान में रेडियोग्राम पर बज रही बौद्ध प्रार्थना को सस्वर दोहरा रहे थे, “बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्म शरणं गच्छामि, संघम शरम् गच्छामि” कि तभी उनका रसोइया डिनर के लिए आने को कह कर उनका ध्यान-भंग करता है. उन्हें थोड़ा-सा चावल खाने के लिए बहुत मान-मनौव्वल करना पड़ता था. डाइनिंग टेबल तक...
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वैक्सीन पॉलिसी : वो पाँच सवाल, जिनके जवाब मोदी सरकार से मिलना अब भी बाक़ी है
-बीबीसी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत की वैक्सीनेशन पॉलिसी में एक बार फिर बदलाव किया. मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 21 जून से शुरू होने वाली नई वैक्सीनेशन प्रक्रिया के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी. नई गाइडलाइन के मुताबिक़ : •अब 75 फ़ीसदी टीका केंद्र सरकार ख़रीदेगी और 25 फ़ीसदी प्राइवेट अस्पताल ख़रीद सकेंगे. •राज्यों को टीका जनसंख्या, मरीज़, और टीकाकरण की रफ़्तार के आधार पर दिया जाएगा. वैक्सीन की...
More »ओडिशा के किसान चाहते हैं नारियल की मंडी और उससे जुड़े उद्योग
-गांव कनेक्शन, ओडिशा के पुरी जिले के किसान भक्त बंधु दास के पास नारियल के 500 से ज्यादा पेड़ हैं। उनकी तरह उनके गांव और जिले के ज्यादातर किसान नारियल के बाग ही लगाते हैं, यही उनका मुख्य पेशा है। नारियल मोटी खेती है, जिसमें नुकसान की आशंका न के बराबर होती है। किसानों का कहना अगर वहां नारियल की मंडी लगने लगे तो नारियल से जुड़े उद्योग लग जाएं तो...
More »वे दस गलत नीतियां जो मोदी सरकार के सात साल को परिभाषित करती हैं
-जनपथ, मोदी सरकार ने सात साल पूरे कर लिए हैं। किसी भी समाज, देश या व्यक्ति के मूल्यांकन के लिए सात वर्ष पर्याप्त होते हैं। सात साल में ऐसी दस महत्वपूर्ण गलतियाँ थीं, जो निस्संदेह मोदी सरकार को परिभाषित करेंगी। विमुद्रीकरण: यह किसी भी सूची में सबसे ऊपर होगा क्योंकि इसकी सफलता की कमी और व्यापक तबाही ने अर्थव्यवस्था पर इसका असर डाला। विदेशों में बिजनेस स्कूलों में अब एक चेतावनी के रूप...
More »विश्व पर्यावरण दिवस 2021: महामारी में पर्यावरण की फिक्र
-डाउन टू अर्थ, महामारी के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस मनाने के बारे में सोचना भी मुश्किल है। अपार मानवीय पीड़ा और हानि के इस समय में पर्यावरण की आखिर क्या बिसात है? लेकिन आइए इस विषय में सोचने के लिए हम थोड़ा समय निकालें। पिछले एक महीने में हमें जिस चीज की कमी सर्वाधिक खली वह था ऑक्सीजन। आइए हम उन दिनों एवं घंटों के बारे में सोचें जो हमने अपने...
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