भारत की हजारों वर्षों की जिस संपन्नता की बात की जाती है, वह मुख्यतया किसानों, शिल्पियों और व्यापारियों पर टिकी थी। राजकोष में आने वाले धन का सबसे बड़ा हिस्सा किसानों से प्राप्त होता था। मनु-स्मृति, विष्णुधर्मसूत्र, गौतमधर्मसूत्र आदि में स्पष्ट व्यवस्था है कि सामान्यतया राज्य कृषि उत्पादन का बारहवां अंश लेगा। अगर कोई विशेष संकट उपस्थित हो तो आठवां या छठा अंश भी मांगा जा सकता है। कभी-कभार ही...
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613 गांवों को मिलेगा पीने का शुद्ध पानी
पटना: नौ जिलों के 613 गांवों में रहनेवाले लोगों को इस वर्ष शुद्ध पेयजल मिलेगा. केंद्र की राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल आपूर्ति योजना के तहत सभी गांवों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति होगी. बिहार सरकार के स्तर पर सिर्फ मधुबनी जिले की छह ग्रामीण जलापूर्ति योजनाओं को संस्टेबल बनाने का काम होगा. इस पर 89.90 लाख रुपये खर्च होंगे. मधुबनी में जलापूर्ति योजना का काम बिहार राज्य जल एवं स्वच्छता मिशन...
More »गन्ने की कड़वाहट- अरविन्द कुमार सेन
जनसत्ता 30 नवंबर, 2013 : सियासत का हद से ज्यादा हस्तक्षेप किस तरह एक संगठित उद्योग को तबाही के कगार पर ला खड़ा करता है, गन्ना उद्योग इसकी मिसाल है। कुछ समय पहले सांप्रदायिक हिंसा की आग में झुलस चुके मुजफ्फरनगर-शामली इलाके के लोगों को अब गन्ने के दाम की फिक्र सता रही है। आमतौर पर उत्तर प्रदेश में सरकार अगस्त-सितंबर में मिल मालिकों और किसानों से बातचीत करके आरक्षी क्षेत्र...
More »आलू को लेकर जंग, झारखंड ने बंगाल को बिजली-पानी रोकने की धमकी दी
रांची: पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से आलू की आपूर्ति पर रोक लगाने का झारखंड सरकार ने विरोध किया है. कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने बताया : झारखंड सरकार का प्रतिनिधिमंडल बंगाल सरकार से बात करने कोलकाता जायेगा. उन्होंने कहा : सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. मंगलवार को हुई कैबिनेट की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई. बैठक में सभी मंत्रियों ने सलाह दी कि...
More »आदिवासी विकास के दो चेहरे- अरुण कुमार त्रिपाठी
जनसत्ता 9 नवंबर, 2013 : देश के जिन पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं उनमें से चार राज्य ऐसे हैं जिनमें आदिवासियों की खासी आबादी निवास करती है, यह बात हम राहुल बनाम मोदी की बहस में भूल जा रहे हैं। संयोग से ये चुनाव ऐसे अवसर पर हो रहे हैं जब आदिवासियों के विकास और उनके बारे में सरकार की नई नीति को लेकर बहस उठ...
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