-बीबीसी, सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल लगे लॉकडाउन के चलते लोन की मासिक किस्त चुकाने से दी गई राहत (मोरेटोरियम की अवधि) को छह महीने से ज़्यादा बढ़ाने से इनकार कर दिया है. अदालत ने हालांकि यह ज़रूर कहा है कि इस दौरान लोगों को उनके लोन पर कोई चक्रवृद्धि ब्याज नहीं देना होगा. इसके साथ ही कोर्ट ने मंगलवार को दिए अपने फ़ैसले में लोन लेने वालों को किसी और तरह...
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मनरेगा से बने चेकडैम से 10 गुणा तक बढ़ी ग्रामीणों की आमदनी
-डाउन टू अर्थ, जालौन जिले के मीगनी ग्राम पंचायत के तहत आने वाले हिम्मतपुरा और मीगनी गांव की तस्वीर बदलने में मनरेगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका सबसे अधिक फायदा दलित और वंचित तबकों को पहुंचा है। इसे हिम्मतपुरा गांव से समझा जा सकता है। गांव में सभी निवासी दलित समुदाय के हैं। इस गांव में साल 2004 में परमार्थ समाजसेवी संस्था की मदद से एक चेकडैम बनाया गया था।...
More »नरेंद्र मोदी के लिए राजनीतिक मुसीबत बन सकती है सरकारी संपत्तियों की थोक बिक्री
-द वायर, राजनीतिक-आर्थिक सुधारों के प्रति रवैये की बात करें, तो 2021 के नरेंद्र मोदी, 2015 के नरेंद्र मोदी से काफी अलग नजर आते हैं. इन दो अलग-अलग रवैयों के पीछे के कारण और प्रेरणाएं अपने आप में अध्ययन का विषय हैं. 2015 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली के ड्राफ्ट बजट प्रस्तावों को यहां याद किया जा सकता है. उस समय के सुधारों का केंद्रबिंदु आखिरकार सरकार के नियंत्रण में रह जानेवाले...
More »बैड बैंक और निजीकरण: बैंक फॉर सेल
-आउटलुक, “सरकारी बैंकों में निजी निवेश के लिए उसका एनपीए कम होना जरूरी है और बैड बैंक इसमें मददगार होगा, इसलिए बैंक निजीकरण और बैड बैंक का गठन, दोनों फैसलों को एक-दूसरे से जोड़कर देखा जाना चाहिए” एस.के. सिंह इन दिनों एक बैंक की बहुत चर्चा है- बैड बैंक। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 1 फरवरी 2021 को बजट में इसका जिक्र किया, जिस पर बाद में रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास...
More »अच्छी हो या बुरी लेकिन बिटक्वाइन, ब्लॉकचेन और डिजिटाइजेशन के साथ एक अलग तरह की दुनिया उभर रही है
-द प्रिंट, कल्पना कीजिए कि खनन (पता नहीं किस चीज के) और ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी (इसे भी समझना होगा) से जुड़ी आपकी मुद्रा ‘क्रिप्टो’ यानी गुप्त हो गई. अगर यह सब आपको नहीं समझ में आ रहा है या आप यह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि टेस्ला अरबों बिटक्वाइन क्यों खरीद रही है या यह नहीं समझ पा रहे हैं कि चीन यह क्यों सोच रहा है कि उसका ई-यूवान...
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