देश के आदिवासियों की जमीनों पर कब्जे हैं। जिन किसानों के पास जमीनें हैं, उनसे विकास के नाम पर जमीनों को छीना जा रहा है। वहीं जिन लोगों के पास रहने के लिए घर नहीं है, उनको घर बसाने के लिए जमीन नहीं दी जा रही है। एकता परिषद व सहयोगी संगठनों द्वारा समग्र भूमि सुधार तथा वंचितों को हक दिलाने के लिए जनसत्याग्रह 2012 आंदोलन चलाया जा रहा है।...
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मानसून की आस देख रहे हैं, तो अब छोड़ दीजिए
इंदौर। प्रदेश में मानसून के लिए अब भी एक सप्ताह से ज्यादा इंतजार करना होगा। बंगाल की खाड़ी के ऊपर हवा में सिस्टम बना है, जिससे उम्मीद जागी है। यह सिस्टम एक-दो दिन में जमीन पर आने की संभावना है। पहले भी एक सिस्टम बना था लेकिन उसने मध्यप्रदेश तक आते-आते दम तोड़ दिया था। यदि इस सिस्टम ने निराश नहीं किया तो जुलाई के पहले सप्ताह तक प्रदेश में मानसून...
More »राजस्थान में ऋण माफी की योजना नहीं
जयपुर। राजस्थान विधान सभा में सोमवार को सहकारिता मंत्री परसादी लाल मीणा ने बताया कि ऋण माफी केंद्र व राज्य सरकार तथा नाबार्ड द्वरा समय-समय पर जारी योजनाओं के अनुसार दी जाती है। मीणा ने प्रश्नकाल में विधायक हरिसिंह रावत के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि वर्तमान में ऋण माफी की कोई योजना नहीं है। ऋण माफी के संबंध में संशोधन भारत सरकार स्तर पर ही संभव...
More »अवैध खनन का ‘राज’स्थान- शिरीष खरे(तहलका) की रिपोर्ट
पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय के सामने राजस्थान सरकार ने दावा किया था कि अरावली की पहाड़ियों में खनन पूरी तरह बंद है. लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के मुहाने पर बसे सीकर जिले की तस्वीर ही इस दावे की पोल खोलने के लिए पर्याप्त है. शिरीष खरे की रिपोर्ट राजस्थान की राजधानी जयपुर को देश की राजधानी दिल्ली से जोड़ने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-8 के साथ ऊंट के आकार-सी उठती-बैठती अरावली पर्वत श्रृंखला...
More »बीज में छिपी है खाद्य संप्रभुता- वंदना शिवा
यदि किसानों के पास अपना बीज न हो या मुक्त परागण किस्मों तक उनकी पहुंच न हों, जिसे वे सुरक्षित रख सकें या जिसका वे विनिमय कर सकें, तो उनके पास बीज संप्रभुता नहीं होगी। नतीजतन उनके पास खाद्य संप्रभुता भी नहीं होगी। गहराते कृषि एवं खाद्य संकट की जड़ें बीज आपूर्ति प्रणाली में हो रहे बदलाव और बीज विविधता व बीज संप्रभुता के क्षरण में निहित है। क्योंकि खाद्य...
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