पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
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कानूनों के जंजाल से घिरी नौकरशाही - जोगिंदर सिंह
मैं हमेशा अचरज में पड़ जाता हूं कि आखिर जिन लोगों के हाथ में सत्ता और अधिकार हैं, वे सिरे से गलत चीजों को दुरुस्त करने के लिए क्यों कुछ नहीं करते? मैं जब स्टूडेंट हुआ करता था, तभी से मैं गुड गवर्नेंस वगैरह के बारे में सुनता आ रहा हूं, लेकिन अफसोस कि तब से लेकर अब तक ज्यादा कुछ नहीं बदला है। दुनिया बदल गई, हालात बदल गए,...
More »जॉब जकारिया से खास बातचीत : विटामिन-ए नहीं मिलने से मर गये 24 हजार बच्चे
आप अपने घर (गृह प्रदेश केरल) जा रहे हैं. जॉब्स ओन कंट्री..खुश होंगे. हंसते हैं...पर इतनी संतुष्टि कहीं नहीं मिलेगी. क्यों? झारखंड में काम करने का जितना अवसर मिला, लोगों का जितना प्यार व सहयोग मिला, खास कर मीडिया व सरकार का भी, ये सब कहीं और मिल पायेगा, इस पर मुङो शक है. झारखंड में अपने तीन साल के काम को आप कैसे आंकते हैं. कई मुद्दों पर सफलता मिली. कई बार बहुत कुंठित...
More »हाइकोर्ट ने सरकार से पूछा, कैसे गायब हो गये राज्य के 38 पहाड़
रांची : राज्य के पांच जिलों से 38 पहाड़ों के गायब होने के मामले को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया है. चीफ जस्टिस वीरेंदर सिंह व जस्टिस पीपी भट्ट की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए हाइकोर्ट ने मामले को जनहित याचिका में तब्दील कर दिया. साथ ही राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया. तीन सप्ताह के अंदर शपथ पत्र के माध्यम से जवाब दाखिल करने...
More »छत्तीसगढ़ में 25 फीसदी महिलाओं का घर में ही कराया जाता है प्रसव
रायपुर। छत्तीसगढ़ में प्रसव की वेदना झेल रहीं करीब महिलाओं को सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल की सुविधा नहीं मिल पा रही है। राज्य में पिछले एक साल में तीन लाख 14 हजार से अधिक प्रसव हुए। इनमें से 80 हजार 591 महिलाओं की डिलिवरी अस्पताल में न होकर घर में हुई। सरकारी भाषा में इसे गैर संस्थागत प्रसव कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में यह स्थिति ऐसे समय पर है, जब...
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