फिल्म प्यासा का गीत है- ‘सर जो तेरा चकराये या दिल डूबा जाये', एक जगह तनिक छेड़ के साथ पात्र कहता है कि ‘लाख दुखों की एक दवा है क्यों ना आजमाये.' ऐसी दवा साहित्य के पन्नों में मिला करती है, लेकिन लगता है अब राजनीति ने भी यह दवा खोज निकाली है. सार्वजनिक महत्व के मसले पर राजनीतिक असहमति से उपजनेवाले तमाम दुख-दर्दों से छुटकारे की इस दवा का...
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कुपोषण से कैसे लड़ सकते हैं-- रीतिका खेड़ा
हाल ही में जारी ग्लोबल हंगर इंडेक्स-2016 में 118 देशों की सूची में भारत को 97वें स्थान पर रखा गया है। हममें से जो लोग भारत में भूख और पोषण से संबंधित मुद्दों की उपेक्षा के लिए चिंतित रहते हैं, उनके लिए ये आंकड़े बड़ी खबर हैं, जिसने मीडिया का भी ध्यान खींचा है। कुपोषण एक ऐसी समस्या है, जो विभिन्न पीढ़ियों में पाई जाती है। एक कुपोषित मां द्वारा एक...
More »हम किसे गरीब माने-- अवधेश कुमार
हमारे-आपके लिए कौन गरीब है इसे अपने आसपास पहचानना कठिन नहीं है। लेकिन जब सरकार की ओर से गरीबों की औपचारिक पहचान की बात आती है तो समस्या बढ़ जाती है। वास्तव में भारत में कौन गरीब है इसके निर्धारण का प्रश्न एक जटिल पहेली की तरह हमारे सामने लंबे समय से खड़ा है। गरीबी तय करने को लेकर समय-समय पर कुछ मानक निर्धारित किए गए और उनके आधार पर...
More »इंटरनेट विस्फोट के लाभ-- बिभाष
हाल ही में एक बड़ी कंपनी द्वारा मोबाइल सेवाएं प्रारंभ करने के बाद मोबाइल सिम हासिल करने के लिए लोगों की भारी भीड़ कंपनी-विशेष के काउंटरों पर जमा हो गयी है. लोग सिम पाने के लिए हर प्रकार का जुगत कर रहे हैं. कारण है बड़े ही सस्ते दर पर मोबाइल सेवाएं, खासकर इंटरनेट देने का प्लान. हालांकि, मुफ्त फोन काॅल दर भी आकर्षण का एक कारण है, लेकिन सस्ता...
More »देश में हर रोज बेरोजगार हो रहे हैं 550 लोग, कृषि क्षेत्र की हालत ज्यादा खराब
नई दिल्ली: देश में रोजगार की संभावनाएं तलाश रही केंद्र सरकार के तमाम प्रयासों के बीच एक चौकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है। यह रिपोर्ट बताता है कि देश में हर रोज करीब 550 लोग बेरोजगार हो रहे हैं। अगर यही रफ्तार जारी रही तो साल 2050 तक देश के 70 लाख लोग बेरोजगार हो चुके होंगे। दिल्ली सोसाइटी स्थित एक सिविल सोसाइटी ग्रुप प्रहार (PRAHAR) के एक अध्यियन में...
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