यदि किसानों के पास अपना बीज न हो या मुक्त परागण किस्मों तक उनकी पहुंच न हों, जिसे वे सुरक्षित रख सकें या जिसका वे विनिमय कर सकें, तो उनके पास बीज संप्रभुता नहीं होगी। नतीजतन उनके पास खाद्य संप्रभुता भी नहीं होगी। गहराते कृषि एवं खाद्य संकट की जड़ें बीज आपूर्ति प्रणाली में हो रहे बदलाव और बीज विविधता व बीज संप्रभुता के क्षरण में निहित है। क्योंकि खाद्य...
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आंगनबाड़ी पर बरसा धन
जागरण ब्यूरो, शिमला : हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल की बुधवार को हुई बैठक में आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को 300, सहायिकाओं को 200 और मिनी आगनबाड़ी वर्करों को 250 रुपये अतिरिक्त मानदेय जारी करने की स्वीकृति प्रदान की गई। यह वृद्धि पहली जनवरी से लागू होगी। प्रदेश की 18,352 आगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अब 3300, इतनी ही सहायिकाओं को 1700 और 330 मिनी आगनबाड़ी वर्करों को 1750 रुपये का मानदेय प्रति माह की दर से...
More »मुद्रास्फ़ीति फ़रवरी महीने में बढ़कर 6.95 फ़ीसद हुई
नयी दिल्लीः खाद्य वस्तुओं विशेष तौर पर सब्जी, अंडा, मांस-मछली, दाल जैसे उत्पादों की कीमत बढ़ने के कारण मुद्रास्फ़ीति फ़रवरी महीने में बढ़कर 6.95 फ़ीसद हो गई. थोकमूल्य सूचकांक डब्ल्यूपीआई के आधार पर आकलित मुद्रास्फ़ीति जनवरी में 6.55 फ़ीसद थी. पिछले वर्ष फ़रवरी महीने में मुद्रास्फ़ीति 9.54 प्रतिशत थी. यहां आज जारी ओधकारिक आंकडे के मुताबिक फ़रवरी में दालों की कीमत 7.91 फ़ीसद चढी जबकि सब्जियों की कीमत 1.52 फ़ीसद बढ़ी. हालांकि...
More »सत्ता में दलित- श्योराज सिंह बेचैन
Dalits pain मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य में जब जातियों के आधार पर राजनीतिक गोलबंदी तेज हो गई है, सही मायने में कांशीराम ही अकेले ऐसे नेता थे जिन्होंने व्यवस्था बदलने के लिए जाति के समाप्त होने का इंतजार नहीं किया था। उन्होंने जातियों, उप-जातियों में सहअस्तित्व और आत्मसम्मान की भावना जगाकर उन्हें सत्ता में हिस्सेदारी की महत्वाकांक्षा के साथ संगठित किया। समकालीन राजनीति में उनके इस योगदान ने न केवल हाशिये पर...
More »कोई गुलाम योद्धा यह ना पूछे- क्यों युद्ध हारे( दैनिक जागरण, रांची संस्करण)
बीहड़ों में बागी होते हैं, डाकू तो पार्लियामेंट में होते हैं। फिल्म पान सिंह तोमर का यह डायलॉग सबकी जुबान पर है। आठ बार नेशनल चैंपियन रह चुके एथलीट पान सिंह तोमर सरकारी व्यवस्था में घिसकर अंतत: हथियार उठा लेता है और चंबल के बीहड़ों का कुख्यात डकैत बन जाता है। पलामू में 2001 में एक नक्सली श्याम बिहारी उर्फ विनय जी उर्फ सलीम ने आत्मसमर्पण किया था। उसे...
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