जलवायु परिवर्तन, भूख, कुपोषण, बढ़ती गरीबी, घटते संसाधन, ये सभी ऐसी समस्याएं हैं जिनसे आज सारी दुनिया जूझ रही है। अरबों रुपए इन समस्याओं के हल के लिए अंतराष्ट्रीय सम्मेलनों पर खर्च किए जा चुके हैं। आगे भी किए जाएंगे। पर हल तब भी शायद ही निकले। तो क्या किया जाए? गांधी-विचारों में रची-बसी, स्वाश्रयी महिला सेवा संघ (सेवा), अमदाबाद की संस्थापक और गुजरात विद्यापीठ की चांसलर इला भट्ट के...
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विकास की परिभाषा में बच्चे कहां!-- अनुज लुगुन
हमारा समाज एक ऐसी दिशा की ओर बेलगाम अग्रसर होता जा रहा है, जहां सब कुछ या तो बहुसंख्यक के लिए ही हो रहा है, या आवाज उठा सकनेवालों के लिए ही हिस्सेदारी बच रही है. जो मूक हैं, या मासूम हैं, उनके लिए कुछ भी नहीं बच रहा है. आज प्रकृति-जीव और बच्चे सामूहिक संहार के शिकार हो रहे हैं, क्योंकि वे अपनी भाषा मनुष्यों को समझा नहीं सकते....
More »हादसों के सफर में-- संजीव पांडेय
एक बार फिर देश ने एक भीषण रेल दुर्घटना देखी है। उत्तर प्रदेश में कानपुर के पास इंदौर से पटना जा रही इंदौर-पटना एक्सप्रेस पटरी से उतर गई। यह इतनी भीषण दुर्घटना थी कि अभी तक इसमें एक सौ बयालीस लोग मरे हैं। यह दुर्घटना ऐसे समय हुई है जब हरियाणा के सूरजकुंड में रेलवे द्वारा आयोजित एक शिविर में खुद प्रधानमंत्री ‘शून्य दुर्घटना' के लक्ष्य पर जोर दे रहे...
More »सरकारी राजस्व का सदुपयोग हो --- डा. भरत झुनझुनवाला
पांच सौ तथा हजार रुपये के नोट बंद करके सरकार ने साहसिक कदम उठाया है. आज देश में बड़े पैमाने पर नकद में धंधा हो रहा है, जिससे टैक्स से बचा जा रहा है. मुझे कभी-कभी हजारों पन्ने फोटोकाॅपी कराने पड़ते हैं. मेरे फोटोकाॅपियर मित्र इसकी रसीद नहीं देते हैं, चूंकि वे कागज को नकद में खरीदते हैं. इस कागज को बनानेवाली फैक्ट्री और बेचनेवाले दुकानदार भी टैक्स नहीं देते...
More »सीबीएसइ अगले सत्र से दोबारा शुरू करेगा दसवीं में बोर्ड परीक्षा
जयपुर/ नयी दिल्ली: सीबीएसइ में अगले सत्र यानी 2017-18 से फिर से दसवीं की बोर्ड परीक्षा होगी. मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने सोमवार को इसका एलान किया. इस एलान के साथ ही अब साल 2018 में दसवीं की बोर्ड परीक्षा होगी. इसके साथ ही सरकारी स्कूलों में पाचवीं व आठवीं की परीक्षा प्रारंभ होगी. संसद सत्र में सरकार विधेयक लाकर राज्यों को यह अधिकार देगी. वर्ष 2010 में बोर्ड...
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