रोटावायरस डायरिया भारत सहित कई देशों में नवजात शिशुओं और बच्चों की मौत का एक प्रमुख कारण है. भारत में हर साल करीब नौ लाख बच्चों को इसके कारण अस्पतालों में भर्ती करना पड़ता है, जिनमें से 80 हजार से एक लाख बच्चों की मृत्यु हो जाती है. लेकिन, इससे बचाव की विदेशी दवाएं इतनी महंगी थीं कि हर किसी के लिए उसका सेवन करना आसान न था....
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पांच तरीके से दसवीं-बारहवीं की परीक्षा, फीस में भारी अंतर
रायपुर,राज्य में छात्र-छात्राओं के लिए दसवीं-बारहवीं परीक्षा पास करने के लिए पांच तरीके से परीक्षा आयोजित की जा रही है। छत्तीसगढ़ माध्यमिक शिक्षा मंडल अकेले तीन तरह की परीक्षा आयोजित करता है। इसमें नियमित परीक्षार्थी, स्वाध्यायी परीक्षा और पत्राचार परीक्षा है। तीनों परीक्षाओं के लिए प्रश्न पत्र एक जैसे हैं, लेकिन अलग-अलग फीस ली जा रही है। वहीं राज्य ओपन स्कूल और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओपन स्कूलिंग (एनआईओएस) की परीक्षा लेने...
More »घर में शौचालय नहीं, तो नहीं मिलेगी सरपंची
छत्तीसगढ़ की ग्राम पंचायतों में अब पांचवीं पास व्यक्ति ही पंच और आठवीं पास व्यक्ति ही सरपंच बन सकेंगे। इसके साथ ही पंच-सरपंच बनने के लिए उनके मकान में जलवाहित शौचालय होना भी जरूरी है। इसके लिए छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम में संशोधन किया जा रहा है। पंचायत मंत्री अजय चंद्राकर ने सोमवार को इससे संबंधित छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) विधेयक 2016 विधानसभा में प्रस्तुत किया। संशोधन विधेयक के अनुसार पंच...
More »इंटरनेट से मिलेंगे जमीन के रिकार्ड, आबादी भूमि का भी होगा सर्वे
रायपुर। छत्तीसगढ़ में अब कोई भी भू-स्वामी या व्यक्ति अपने जमीन के रिकार्ड को इंटरनेट के माध्यम से कभी भी, कहीं से भी देख सकेगा और उसकी प्रतिलिपि भी प्राप्त कर सकेगा। ऐसी प्रतिलिपियों को साक्ष्य के रूप में मान्यता देने का भी प्रावधान किया जा रहा है। राजस्व मंत्री प्रेमप्रकाश पांडेय ने शनिवार को विधानसभा में विभागीय अनुदान मांगों पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह जानकारी दी। राजस्व...
More »आदिवासी अस्मिता का सवाल-- डा. अनुज लुगुन
आज दुनिया की कई भाषाएं मरने के कगार पर इसलिए खड़ी हैं, क्योंकि वैश्विक दुनिया के मानकों के अनुसार वे लाभकारी नहीं हैं. वैश्वीकरण के मुनाफे की इस प्रवृत्ति ने भाषाओं के बीच जो दूरी पैदा की है, वह पहले कभी नहीं थी. पहले भी भाषाएं मरती रही हैं, लेकिन उसके कारण के रूप में मुनाफे वाली मानसिकता नहीं रही है. भाषाओं का यह संकट सामान्य रूप से भी...
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