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श्रीनगर क्यों न हो पहली स्मार्ट सिटी- शंकर अय्यर

'अगर फिरदौस बरोए जमीन अस्त, हमी अस्तो, हमी अस्तो हमी अस्त।' कश्मीर को धरती का स्वर्ग बताते हुए महान शायर अमीर खुसरो ने कभी यह पंक्तियां कही थीं। मगर 2014 में भीषण बाढ़ की त्रासदी से अब तक न उबर सके कश्मीर की हालत कुछ और ही कहानी बयां करती है। सर्दियों के दस्तक देने के साथ यहां के बेघरबार, विद्यार्थी, छोटे व्यापारी और दूसरे तमाम लोग जिस तरह अपने अस्तित्व...

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राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कार के लिए फिर छत्तीसगढ़ का चयन

रायपुर (ब्यूरो)। राष्ट्रीय ई-पंचायत पुरस्कार लिए केन्द्र सरकार ने एक बार फिर छत्तीसगढ़ का चयन किया है। पंचायतों के कामकाज में सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कर ई-प्रशासन (ई-गवर्नेन्स ) को बढ़ावा देने के लिए केन्द्रीय पंचायती राज मंत्रालय द्वारा ई-पंचायत पुरस्कार शुरू किया गया है। छत्तीसगढ़ को वर्ष 2014 के लिए 30 लाख स्र्पए का द्वितीय पुरस्कार मिला है। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस महत्वपूर्ण उपलब्धि के लिए पंचायत एवं...

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आज भी मजबूर हैं बच्चे

बाल श्रम के क्षेत्र में काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलना देश के लिए गौरव की बात है। पर यह सवाल आज भी उतनी ही शिद्दत से हमारे सामने है कि कब हमारे देश से बाल श्रमिकों का उन्मूलन होगा। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक चूड़ी कारखाने से बिहार के 140 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया। यह बताता है कि बाल...

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जिलाधीश नहीं बाबू उमराव तो जलाधीश हैं- स्वतंत्र मिश्र

उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास ही किसी गांव में जन्मे उमाकांत उमराव ने मध्य प्रदेश के देवास में जिलाधीश के पद पर लगभग डेढ़ साल की एक छोटी सी अवधि में यहां की पारंपरिक तालाब संस्कृति को अपने बूते जिंदा कर दिखाया जिसकी वजह से यहां के बच्चे-बूढ़े, औरतें सभी उनके दीवाने हो गए और उन्हें श्रद्धा से भरकर जलाधीश (जल देवता) कहकर पुकारने लगे। मालवा क्षेत्र के सबसे सूखे...

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लोक से कटा गंगा-विमर्श -- अनिल चमड़िया

जनसत्ता 15 अक्तूबर, 2014: गंगा के बारे में जो धारणा भारतीय जन-मानस के बड़े हिस्से में सचेतन रूप से खड़ी की गई है, वह केवल धार्मिकता से जुड़ी है। वह धार्मिकता भी बेहद एकांगी है। इस पूरी धारणा ने मानवीय जीवन और खास तौर से समाज की सामूहिक चेतना को बुरी तरह से खंडित किया है। इसने प्रकृति के साथ जीवन के रिश्तों को समझने और उसे समृद्ध करने की...

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