हाल ही में विश्व के दो अहम निकायों ने भारतीय अर्थव्यवस्था पर अपनी चेतावनियां जारी की हैं. अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) ने इस वर्ष के साथ ही अगले वर्ष के लिए भी भारत की विकास दर को लेकर अपने अनुमान नीचे किये हैं, जिनमें 2018 के लिए अनुमान तो बस 7.4 प्रतिशत से घटकर 7.3 प्रतिशत तक ही गिरे हैं, पर अगले वर्ष के लिए उसने इसे 7.8 प्रतिशत से...
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आदिवासी अधिकार के नाम पर- शशिशेखर
जिस समय कश्मीर का अलगाववाद पूरे देश में चिंता का विषय बना हुआ है, ठीक उसी समय झारखंड के कुरूंगा गांव में एक दूसरा दृश्य दिख रहा है। वहां एक शिलालेख पर लिखा है- ‘भारत में गैर आदिवासी दिकु, विदेशी केंद्र सरकार को शासन चलाने और रहने का लीज एग्रीमेंट 1969 ई. में ही समाप्त हो गया है।' ‘वोटर कार्ड (मतदान पहचान पत्र) और आधार कार्ड (आम आदमी का अधिकार कार्ड) आदिवासी...
More »बच्चे पास हो गए, नीति फेल हो गई-- हरिवंश चतुर्वेदी
अब फिर से पांचवीं और आठवीं कक्षाओं में फेल होने वाले बच्चों को रोका जा सकेगा। शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2010 का यह मुख्य प्रावधान था कि आठवीं कक्षा तक बच्चों को फेल नहीं किया जाएगा। लोकसभा ने इसके लिए अधिनियम में संशोधन कर दिया है। मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना था कि बच्चों को फेल न करने की नीति से स्कूली शिक्षा व्यवस्था चरमरा रही थी और...
More »गरीबी में गिरावट संतोषजनक--- अजीत रानाडे
अंतरराष्ट्रीय रूप से सुप्रसिद्ध ब्रूकिंग्स संस्थान की एक रिपोर्ट यह बताती है कि भारत में गरीबी में नाटकीय गिरावट आयी है. मई 2018 के आकड़े लिये जाएं, तो भारत में घोर दरिद्रता की स्थिति में रहनेवालों की संख्या 7.30 करोड़ है, जबकि नाइजीरिया में ऐसे लोगों की तादाद 8.70 करोड़ है. ऐसा पहली बार हुआ है कि अपनी जनसांख्यिक विशालता के बावजूद भारत में अत्यंत निर्धनों की संख्या विश्व में...
More »कर्नाटक के विनाश की नई राह-- रामचंद्र गुहा
यह 1989 की बात है जब मैं शिवराम कारंथ से उनके दक्षिण कर्नाटक स्थित गांव सालिग्राम में मिला था। आधुनिक कन्नड़ उपन्यास के जनक, यक्षगान जैसे प्राचीन नृत्य नाटक का पुनर्पाठ प्रस्तुत करने वाले, विधवा विवाह और स्त्री शिक्षा को बढ़ावा देने वाले शिवराम कारंथ उन दिनों अपने प्यारे पश्चिमी घाटों को विनाश से बचाने की मुहिम में जुटे थे। 80 साल की उम्र में भी वे खासे सक्रिय रहकर...
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