ऐसे समय में जबकि खाद्य पदार्थो की कीमतें आसमान छू रही हैं और दुनिया में भुखमरी अपने पैर पसार रही है, जलवायु परिवर्तन से संबंधित विशेषज्ञ आगाह कर रहे हैं कि आने वाले वक्त में हमें और भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ेगा। दिनों-दिन बढ़ते वैश्विक तापमान की वजह से भारत की कृषि क्षमता में लगातार गिरावट आती जा रही है।एक अनुमान के मुताबिक इस क्षमता में 40 फीसदी तक की कमी हो सकती...
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रद्द हो सकती है टाटा की लीज
कोलकाता : सिंगूर में रेल की कोच फ़ैक्टरी का लगना निकट भविष्य में मुश्किल ही दिख रहा है. रेल बोर्ड की ओर से राज्य सरकार को पत्र लिख कर पहले जमीन हासिल करने की बात कहे जाने पर मंगलवार को राज्य के मुख्य सचिव अशोक मोहन चक्रवर्ती ने कहा कि सिंगूर के लिए ठोस प्रस्ताव आने पर टाटा को दी गयी जमीन की लीज रद्द करने पर बात की जा सकती है. यही न्यायसंगत होगा....
More »अब सुल्तानपुरी केले की मचेगी धूम
सुल्तानपुर। केले का नाम आते ही महाराष्ट्र के भुसावल जिले का नाम बरबस सामने आ जाता है। अब सुल्तानपुर इससे होड़ लेने की तैयारी कर रहा है। इस जिले को केला उत्पादक क्षेत्र के रूप में विकसित किया जाना है। कृषि विविधिकरण व उद्यानीकरण योजना के तहत करीब 225 एकड़ जमीन में केले के पौधरोपण को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इस योजना से तकरीबन 400 किसान लाभान्वित होंगे।...
More »का बरसा जब कृषि सुखाने...
कहावत है कि का बरसा जब कृषि सुखाने और इस कहावत से सीख लेते हुए मानसून की पिछात बारिश में मारे खुशी के फूलकर कुप्पा होने से पहले यह सोचना जरुरी है कि आखिर नुकसान कितना हो चुका है। नुकसान हुआ है और भरपूर हुआ है। देश के खेतिहर इलाके के ६० फीसदी हिस्से पर, खासकर उत्तर-पश्चिमी हिस्से में, इस बार रबी की फसल नहीं काटी जा सकेगी और ये...
More »कोसी का कहर
कोसी का कहर अगस्त 2008 में बिहार के एक बड़े इलाके पर टूट पड़ा। कोसी को कभी बिहार का शोक कहा जाता था। जब यह नदी पूर्णिया जिले में बहती थी तब एक कहावत बड़ी चर्चित थी कि ‘जहर खाओ, न माहुर खाओ, मरना है तो पूर्णिया जाओ।’ इस नदी का यह स्वभाव था कि वह अपना रास्ता बदलती रहती थी। यह कब अपना रुख बदल लेगी, इसका अंदाजा लगाना...
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