सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
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लघु उद्योगों को संवारने का है संकल्प - कलराज मिश्र
नरेंद्र मोदी ने जब प्रधानमंत्री के रूप में कामकाज संभाला और गांधी जयंती के मौके पर पहली बार रेडियो के माध्यम से 'मन की बात" की तो उन्होंने खादी के महत्व का बखान करते हुए हर देशवासी को खादी का एक उत्पाद अवश्य खरीदने की अपील की। इसका व्यापक असर हुआ और खादी की बिक्री में ऐतिहासिक बढ़ोतरी दर्ज की गई। इस अपील के बाद सबका ध्यान सूक्ष्म, लघु एवं...
More »दुनिया एक और महामंदी की ओर? - परंजॉय गुहा ठाकुरता
क्या 1930 की महामंदी के बाद दुनिया एक और महामंदी की ओर बढ़ रही है? क्या हम यह मान लें कि वर्ष 2008 की मंदी इस महामंदी का शुरुआती दौर भर थी? दुनिया ग्रीस त्रासदी पर टकटकी लगाए हुए है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन कहते हैं कि 1930 जैसी महामंदी के हालात फिर से निर्मित हो सकते हैं। अलबत्ता इसके एक दिन बाद ही आरबीआई द्वारा सफाई...
More »चीन से आगे जाने का मतलब- मधुरेन्द्र सिन्हा
बीती सदी के नब्बे के दशक में जब जर्जर भारतीय अर्थव्यवस्था को तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंहराव के वित्त मंत्री ने अमरबूटी पिलाई थी, तो किसी को एहसास भी नहीं था कि यह दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शुमार हो जाएगी। विदेशों में बने टीवी, फ्रिज को देखकर ललचाते हुए मध्यवर्ग ने सोचा भी नहीं था कि भारत ऐसे सामान के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक बन जाएगा। यह...
More »मई में खुदरा के बाद थोक महंगाई दर भी बढ़ी
नयी दिल्ली : मई महीनें में खुदरा महंगाई दर के बाद थोक महंगाई दर में भी वृद्धि दर्ज की गयी है. थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति मई माह में उससे पिछले महीने के मुकाबले थोडी चढ कर शून्य से 2.36 अंक पर आ गयी. अप्रैल में यह शून्य से 2.65 अंक नीचे थी. गौरतलब है कि पिछले साल की तुलना में खास कर ईंधन, खाद्यों तथा विनिर्मित उत्पादों की...
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