विगत कुछ महीनों से देश में मजदूर आंदोलन की सुगबुगाहट निजी सेवा के अमानवीयकरण की व्यथा-कथा उजागर करने के लिए पर्याप्त है। हुंडई, अशोक ली-लैंड और मारुति-सुजुकी के मजदूर आंदोलनों ने औद्योगिक नीति की खामियों और मजदूरों के शोषण को उजागर किया है। यह तब हो रहा है, जब वैश्वीकरण ने मजदूर चेतना को न केवल कुंद किया है, बल्कि तमाम मजदूर संगठनों को उत्पादक विरोधी बताते हुए हाशिये पर...
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कथा बीपीएल-क्लब की - ज्यां द्रेज
झारखंड के लातेहार जिले के डबलू सिंह के परिवार की दुर्दशा वर्तमान खाद्य-नीतियों की विसंगतियों को जितनी मार्मिकता से उजागर करती है उतनी शायद कोई और बात नहीं करती। जीविका के लिए मुख्य रुप से दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर आदिवासी युवक डबलू, तकरीबन दो साल पहले, काम करते वक्त छत से गिर पडा और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। जीवनभर के लिए अपंग हो चुके डबलू को हर वक्त...
More »दुख और संघर्षो का बोझ : हर्ष मंदर
पुणे की यरवदा जेल का बैरक नंबर तीन। सूरज की पहली किरणों इसके उदास अंदरूनी अहातों तक पहुंचें, इससे भी पहले एक महिला उठकर काम में जुट गई है। यह उसकी दिनचर्या का एक हिस्सा है। बैरक की ठंडी फर्श पर अब भी 52 महिला बंदी अलसभोर की गहरी नींद में डूबी हुई हैं। सभी के बदन पर हरी साड़ियां हैं, जिनका रंग अब फीका पड़ता जा रहा है। बंदिनियों की यही...
More »तमिलनाडु की कपड़ा फैक्ट्रियों में दलित लड़की का एक दिन...- (नई रिपोर्ट)
सभी लड़कियों की उम्र 11-14 साल के बीच, ज्यादतर का जन्म दलित परिवार में , जीविका के लिए जमीन नहीं, सो मां-बाप दिहाड़ी मजदूर, सर पर कर्ज का बोझ, इसलिए पढ़ाई से ज्यादा शादी और उससे भी ज्यादा दहेज की चिन्ता। और, इस सबके बीच कपड़ा तैयार करने वाली फैक्ट्रियों में खास लड़कियों की नियुक्ति की एक आकर्षक-योजना सुमंगली स्कीम। स्कीम का वादा-- अच्छा वेतन, रहने-ठहरने का पुरसुकून इंतजाम और...
More »स्वर्ग जाएगी पेंशन!- राजीव शर्मा
राजीव शर्मा, अलीगढ़ : अपने जिले में सरकारी तंत्र ने मुख्यमंत्री महामाया गरीब आर्थिक मदद योजना को मजाक बनाकर रख दिया है। पंचायत सचिवों ने बिना सत्यापन के योजना में ऐसे लोगों के नाम भेज दिए हैं, जो कतई पात्र नहीं हैं। इनकी संख्या भी कोई एक-दो नहीं, पूरी 9894 है। इनमें 166 ऐसे लोग भी शामिल कर लिए गए हैं, जो इस दुनिया में ही नहीं हैं। योजना के तहत मिलने...
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