इतिहास उलट कर देखें, तो जमीन झगड़ा-फसाद का एक बहुत बड़ा कारण रही है। जब जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया अस्तित्व में नहीं आई थी, और रीयल एस्टेट व छोटे प्रॉपर्टी डीलरों द्वारा जमीनों की बिक्री का चोखा धंधा नहीं पनपा था, तब जमीन सांस्कृतिक वस्तु थी और परंपरा से जुड़ी थी। बड़े शहरों में काम करने और होली-दिवाली जैसे त्योहारों पर अपने पैतृक गांवों में जाने वाले असंख्य लोग अब...
More »SEARCH RESULT
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के पक्ष में- रविभूषण
मुक्तिबोध और फैज जैसे कवियों ने जब ‘अभिव्यक्ति के खतरे उठाने' और ‘बोल कि लब आजाद हैं तेरे' का आह्वान किया था, वे राज्यसत्ता के चरित्र और उसके द्वारा समय-समय पर लगायी गयी पाबंदियों से भली भांति परिचित थे. मुक्तिबोध ने तो नहीं, पर फैज ने राज्यसत्ता के दमन को ङोला भी था. अभिव्यक्ति की आजादी पर अंकुश लगाने का काम सर्वसत्तात्मक और एकदलीय शासन प्रणाली मनमाने ढंग से करती...
More »यूपी के इस किसान की बेबसी सुनकर रो पड़ेंगे आप
अपने खेत पर कट रही गेहूं की फसल देखने शनिवार शाम पहुंचे मथुरा क्षेत्र में बाजना के गांव महाराम गढ़ी के किसान रघुवीर सिंह (63) वहीं गश खाकर गिर पड़े। परिवारीजन उन्हें लेकर चिकित्सक के यहां दौड़े तब तक उन्होंने दम तोड़ दिया। पीड़ित किसान के बेटे राकेश सिंह ने बताया उनके पास 20 बीघा खेत है। गेहूं की फसल बोने के लिए बैंक से 2.5 लाख रुपये कर्ज लिया था।...
More »घटता पैसा और ठहरे ग्राम न्यायालय
क्या केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता के अभाव में ग्राम न्यायालयों की संख्या नहीं बढ़ पा रही ? उपलब्ध सरकारी दस्तावेज के आंकड़ों से कम से कम इसी आशंका की पुष्टी होती है। केंद्र की पिछली सरकार के विधि एवं न्याय मंत्री कपिल सिब्बल ने 18 दिसंबर 2013 को एक प्रश्न के उत्तर में लोकसभा को बताया कि ग्राम न्यायालय एक्ट के अमल में आने के चार सालों में राज्यों को...
More »अफसरों की गलती से 2314 करोड़ की हानि
रांची : अफसरों की गलती से वित्तीय वर्ष 2013-14 में राज्य सरकार को विभिन्न क्षेत्रों से 2313.83 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. सरकार को राजस्व के रूप में 26136.79 करोड़ रुपये मिले. सरकार ने जून 2014 तक 12704.36 करोड़ रुपये के खर्च में नियमों के उल्लंघन और गड़बड़ी से संबंधित निरीक्षण प्रतिवेदन का निबटारा नहीं किया. नियंत्रक महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में यह बात कही गयी है. सीएजी की...
More »