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विद्रोह के केंद्र में दिन और रातें

जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और ईपीडब्ल्यू के सलाहकार संपादक गौतम नवलखा तथा स्वीडिश पत्रकार जॉन मिर्डल कुछ समय पहले भारत में माओवाद के प्रभाव वाले इलाकों में गए थे, जिसके दौरान उन्होंने भाकपा माओवादी के महासचिव गणपति से भी मुलाकात की थी. इस यात्रा से लौटने के बाद गौतम ने यह लंबा आलेख लिखा है, जिसमें वे न सिर्फ ऑपरेशन ग्रीन हंट के निहितार्थों की गहराई से पड़ताल करते हैं, बल्कि माओवादी...

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जन को गन का भय

गया [कमल नयन]। देश की स्वतंत्रता को आमजनों की स्वतंत्रता 'न मानने वाले' नक्सली संगठनों ने चालू वर्ष में 'जन' को ज्यादा परेशान किया। यह परेशानी बंद के दौरान उनके समर्थन में नहीं बल्कि 'गन' के भय से होती है। खासकर सूबे के बंद के दौरान गया जिले का शेरघाटी अनुमंडल सर्वाधिक प्रभावित होता है। अगर इसे आर्थिक रूप से देखा जाए तो जिले का सबसे कमजोर इलाका बार-बार की...

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नए रोजगार गढ़ता भारत

नई दिल्ली [जयंतीलाल भंडारी]। इन दिनों जो रोजगार सर्वेक्षण प्रकाशित हो रहे है, वे बता रहे है कि देश के प्रोफेशनल और प्रशिक्षित युवाओं के लिए रोजगार अवसर बढ़ रहे है। युवा पेशेवरों के लिहाज से यह एक अच्छी खबर है कि भारतीय जॉब मार्केट एक बार फिर से आत्मविश्वास से भरपूर नजर आ रहा है। इंटरनेशनल रिक्रूटमेंट फर्म एटल के जून 2010 में प्रकाशित किए गए नवीनतम सर्वे में यह...

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11वीं योजना में नौ फीसदी विकास दर की उम्मीद नहीं

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। सरकार ने ग्यारहवीं योजना की मध्यावधि समीक्षा में नौ प्रतिशत विकास के औसत लक्ष्य को घटाकर 8.1 प्रतिशत कर दिया है। ग्लोबल मंदी के अर्थव्यवस्था पर व्यापक असर को देखते हुए इस लक्ष्य को कम किया गया है। विकास दर के घटे लक्ष्य वाली मध्यावधि समीक्षा के मसौदे को कैबिनेट ने भी मंजूरी दे दी है। अब इसे अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रीय विकास परिषद की बैठक...

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धरती कहे पुकार के

ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...

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