ग्रामीण विद्यालयों में शिक्षा की हालत कैसी है? यदि आप इस सवाल को लेकर नीतिकारों के पास जायेंगे, तो लगेगा कि अब भारत को विश्वगुरु बनने से कोई नहीं रोक सकता है. क्योंकि बिहार के गांवों में भी लगभग सौ फीसदी बच्चे विद्यालय जाने लगे हैं. लेकिन, धरातल पर कहानी कुछ और है. पिछले दिनों किसी गांव के एक विद्यालय में जाने का मौका मिला, जहां साठ-सत्तर के दशक तक...
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किस दिशा में जा रहा समाज-- महेश तिवारी
इस सभ्यता को हुआ क्या है। कहीं हिंसात्मक माहौल है, कहीं बर्बरता की सीमा लांघी जा रही है। क्या यही लोकतांत्रिक व्यवस्था है? जिस समाज की सभ्यता और संस्कृति के रग-रग में आपसी भाईचारा और वसुुधैव कुटुम्बकम की भावना समाहित है, अगर उस समाज में बर्बरता की प्रवृत्ति बढ़ रही है और सारा परिवेश हिंसा से आक्रांत नजर आ रहा है तो फिर इसके कारणों पर विचार करना बहुत जरूरी...
More »जाति के भंवर में उलझा लोकतंत्र - एनके सिंह
भारत के संविधान की अनुसूची-3 में मंत्रियों और जनप्रतिनिधियों (जिसमें प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी शामिल हैं) द्वारा पद ग्रहण करने से पहले ली जाने वाली शपथ का उल्लेख है। उन्हें इस बात की शपथ लेनी होती है कि वे संविधान में 'सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखते हैं। संविधान निर्माताओं ने सोचा होगा कि सार्वजनिक रूप से शपथ लेने से मानव बंध जाता है, क्योंकि उसे ईश्वर से डर लगे या...
More »भारतीय समाज के नए यथार्थ-- ज्योति सिडाना
वर्ष 2016 में सेंटर फॉर द स्टडी आॅफ डेवलपिंग सोसाइटीज (सीएसडीएस) ने कोनराड एडेन्यूर स्टीफटुंग (केएएस) के साथ मिल कर ‘भारत में युवाओं की अभिवृत्ति' विषय पर एक अध्ययन किया। इस सर्वे में पंद्रह से चौंतीस वर्ष के भारतीय युवाओं (देश में युवा आबादी करीब पैंसठ फीसद है) से अनेक सवाल पूछे गए। आंकड़ों के अनुसार अस्सी फीसद युवा ज्यादा चिंतित या असुरक्षित महसूस करते हैं। उनमें चिंता के मुख्य...
More »किसान आंदोलन का हासिल -- योगेन्द्र यादव
महाराष्ट्र के एक गांव में शुरू हुई हड़ताल अब देश भर में किसान विद्रोह का रूप लेती जा रही है. सवाल है कि क्या यह विद्रोह सिर्फ उग्र विरोध बन कर रह जायेगा या फिर खेती-किसानी के लिए क्रांतिकारी परिवर्तन लायेगा? इस विद्रोह की चिंगारी से सिर्फ बस और ट्रक जलेंगे या कि इस आग में तप कर कुछ नया सृजन होगा? एक बात तो तय है. अहमदनगर जिले के...
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