सरकार ने 31 दिसंबर 2014 को भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनरुद्धार संशोधन कानून, 2013 में उचित मुआवजे के अधिकार और पारदर्शिता के कुछ प्रावधानों में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी किया। आखिरकार इस कानून में संशोधन की क्या जरूरत पड़ी और इन संशोधनों के क्या मायने हैं? इस बात का बार-बार उल्लेख होता रहा है कि भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 पुराना पड़ चुका है और इसमें संशोधन की जरूरत है। 1894...
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12 साल से पेड़ के नीचे चल रहा स्कूल
चतरा : सदर प्रखंड के खाचा ढाबर स्थित उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय पिछले 12 वर्ष से एक पेड़ के नीचे चल रहा है. वर्ष 2003 में स्थापित स्कूल का अपना भवन नहीं है. स्कूल में कुल 86 बच्चे पढ़ते हैं. सभीं पेड़ के नीचे बैठ कर पढ़ाई कर रहे हैं. बरसात में स्कूल में छुट्टी कर दी जाती है. वर्ष 2007-08 में झारखंड शिक्षा परियोजना द्वारा भवन निर्माण के लिए 4.5...
More »कहां है सुधारों की अगली खेप-- रामचंद्र गुहा
सन 2009 के आम चुनाव के ठीक बाद मैंने बेंगलुरु में एक भाषण सुना, जो नई सरकार के लिए नीतियों के नए रोडमैप पर था। वक्ता थे राकेश मोहन, जो उद्योग व वित्त मंत्रालय में वरिष्ठ पदों पर रह चुके थे और उस वक्त रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर थे। राकेश मोहन का कहना था कि आर्थिक सुधारों की पहली लहर ने व्यापार को सरकारी नियंत्रण से बाहर निकाला और...
More »मजहबी तालीम से आगे बढ़ें मदरसे - तुफैल अहमद
पिछले दशकों के आंकड़े गवाह हैं कि मदरसों में पढ़ने वाले भारतीय मुसलमान भौतिकशास्त्री, अर्थशास्त्री, चार्टर्ड एकाउंटेंट, सॉफ्टवेयर इंजीनियर, डॉक्टर और यहां तक कि राजनीतिज्ञ भी नहीं बन पाते। मदरसे मुस्लिमों को सार्वजनिक जीवन से बाहर रखने के कारक बन जाते हैं। हां, कुछ मदरसों के छात्र आधुनिक पेशे में प्रवेश पा लेते हैं, लेकिन इसमें मदरसों की भूमिका नहीं है, बल्कि यह उनका व्यक्तिगत सद्प्रयास है। इस बात के भी...
More »उसके पास चार डिग्रियां हैं, लेकिन वह जमा करता है कचरा
मुंबई। पिछले नौ सालों में उन्होंने चार डिग्रियां हासिल की हैं, मगर 36 वर्षीय सुनील यादव बीएमसी में कचरा उठाने का काम करते हैं। वह बताते हैं कि उनका जन्म कूडा बीनने वालों के बीच में ही हुआ था। हमारे पास कोई अधिकार नहीं थे। हम हमेशा इस स्थिति से बाहर निकलना चाहते थे। मगर, इसका एक ही तरीका था बाबा भीम राव अंबेडकर ने कहा था कि यदि आप पढ़ेंगे,...
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