लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया. सरकार संसद में पहले भी सुरक्षित थी, अब और भी आश्वस्त हो गयी. विपक्ष भी सरकार पर कुछ छींटाकशी कर खुश हो गया. गले से कहने में जो कसर रह गयी, वह गले लगकर पूरी की गयी. सत्ताधारी मोर्चे में कुछ टूट-फूट होने से विपक्ष भी आश्वस्त है. मीडिया को भी मसाला मिल गया- मोदी जी और राहुल गांधी के गले पड़ने की फोटो...
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शरिया अदालत का बेतुका प्रस्ताव - ए. सूर्यप्रकाश
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड यानी एआईएमपीएलबी द्वारा देश के प्रत्येक जिले में शरिया अदालतों की स्थापना के प्रस्ताव से एक नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। इसने सेक्युलर राज्य के बुनियादी तत्वों को लेकर उस बहस को भी पुनर्जीवित कर दिया है, जो सात दशक पहले संविधान सभा में शुरू हुई थी। ऐसा लगता है कि संविधान सभा में समान नागरिक संहिता के विरोध को लेकर डॉ. भीमराव...
More »जाति से आगे नहीं सोचती राजनीति-- बद्री नारायण
जातियों का उद्भव राजनीति के लिए नहीं हुआ था। मगर आज जातियां भारतीय राजनीति को आधार दे रही हैं। कहते हैं कि जातियों का उद्भव व्यवसायों व पेशों से जुड़ा था। पहले पेशे से ही जातियां निर्धारित होती थीं। फिर ये ‘जन्मना' अर्थात जन्म से जुड़ गईं। आज के दौर में, जब जातियों को ‘पहचान ' से जोड़कर उनका आक्रामक राजनीतिक इस्तेमाल किया जाने लगा है, तब इनकी एक नई...
More »आदिवासियों के बाद अब ओबीसी समुदाय का सरकार के खिलाफ मोर्चा
रायपुर। छत्तीसगढ़ में चुनावी साल में आदिवासियों के बाद अब ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) ने भी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य में ओबीसी आबादी करीब 52 फीसद है। आबादी के अनुपात में आरक्षण की मांग को लेकर ओबीसी लगातार आंदोलित होते रहे हैं। सोमवार को ओबीसी आंदोलन को हवा देने दिल्ली से स्वामी अग्निवेश यहां आ रहे हैं। सुभाष स्टेडियम के पास शासकीय बहुउद्देश्यीय उच्च्तर माध्यमिक विद्यालय...
More »'बीते एक साल में 20 लोगों की भुखमरी से मौत, सभी वंचित तबके के'-- रोजी रोटी अधिकार अभियान
उत्तर कर्नाटक के नारायण, झारखंड के रूपलाल मरांडी, बरेली की सफीना अशफाक और ओड़ीशा के कुंदरु नाग के बीच क्या समानता हो सकती है ? शायद, कोई नहीं- सिवाय इसके कि ये सभी समाज के वंचित वर्ग के हैं और इन सबकी मौत पिछले एक साल के दौरान भुखमरी के कारण हुई तथा इन सभी को एक ना एक कारण से पीडीएस से अनाज नहीं मिल सका.(पिछले एक साल के...
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