जनसत्ता 8 फरवरी, 2014 : विकास के पूंजीवादी-नवउदारवादी मॉडल की कुछ खास तरह की जरूरतें होती हैं। या कहें कि यह मॉडल आर्थिक संवृद्धि के एवज में कुछ खास बलिदानों की मांग करता है। हम देखते हैं कि भारत सरीखे अधिकतर विकासशील देश इन बलिदानों के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। अब सवाल है कि विकास की प्रचलित अवधारणा किन बलिदानों की मांग करती है? और ये बलि के बकरे...
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विकास की होड़ में बेसुध- अभय मिश्र
जनसत्ता 6 फरवरी, 2014 : भारतीय जनता पार्टी के गंगा समग्र अभियान की सर्वेसर्वा उमा भारती ने पर्यावरणविद अनुपम मिश्र से आंदोलन के भविष्य की रूपरेखा पर सलाह मांगी, जिसे वे जनता के सामने संकल्प के तौर पर रख सकें। अनुपमजी ने कहा कि आप अच्छा काम कर रही हैं लेकिन कोई भी बड़ी घोषणा करने से बचिए। थोड़ा रुक कर वे बोले, आज आप कोई बड़ा संकल्प ले लेंगी...
More »संकीर्णताओं की विषवेल- रमणिका गुप्ता
जनसत्ता 12 फरवरी, 2014 : हाल में वीरभूम की एक आदिवासी पंचायत ने दूसरे धर्मावलंबी युवक से प्रेम करने के अपराधस्वरूप एक बीस वर्षीय युवती को सामूहिक बलात्कार का दंड दिया। पूरा देश दहल उठा। पंच परमेश्वर के आदेश पर लड़की के आस-पड़ोस के युवा से लेकर पिता की उम्र तक के तेरह लोगों ने उसके साथ सार्वजनिक स्थल पर निर्ममतापूर्वक बलात्कार किया। युवती के परिजन बेबसी के साथ यह...
More »शताब्दी निजी नलकूप योजना शुरू
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि जब तक सिंचाई के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जाता, तब तक कृषि रोड मैप के तहत निर्धारित लक्ष्य की प्राप्ति संभव नहीं है. मंगलवार को लघु जल संसाधन विभाग की दो सौ करोड़ की लागत से पूर्ण हो चुकी योजनाओं का उद्घाटन व 277 करोड़ से बननेवाली दूसरी योजनाओं का शिलान्यास करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षो में बिहार ने...
More »अवैध खनन से 60 हजार करोड़ का नुकसान
सूरतेहाल शाह कमीशन की रिपोर्ट राज्य सभा में हुई पेश सीबीआई जांच की सिफारिश की है कमीशन ने अवहेलना खनिज संपन्न राज्य में खनन गतिविधियों में नियमों, विनियमों और पर्यावरण नियमों की हुई है घोर उपेक्षा न्यायमूर्ति एमबी शाह कमीशन द्वारा संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष2008 से 2011 के दौरान उड़ीसा में अवैध खनन के कारण 60,000 करोड़ रुपये मूल्य...
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