नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को बताया कि भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने अधिक पैदावार वाली धान एवं गेहूं की नई किस्मों का विकास किया है। लोकसभा में देवजी एम पटेल एवं पकौड़ी लाल के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि, उपभोक्ता मामलों और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री प्रो के वी थामस ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अधिक पैदावार देने वाली धान की 900 किस्में और गेहूं की 372 किस्मों का विकास...
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संसाधन होने के बाद भी राज्य का विकास नहीं
हजारीबाग भारत में 1954 से मिट्टी सर्वेक्षण के लिए यूनिट कार्य कर रही है. यहां अनेकों वैज्ञानिक मिट्टी से संबंधित सर्वे करते हैं, लेकिन उसका परिणाम किसानों तक नहीं पहुंचता है. उक्त बातें अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय के शिक्षक डॉ अली मोहम्मद ने स्थानीय उपकार होटल में प्रेसवार्ता में कही. डॉ अली विनोबा भावे विश्वविद्यालय में व्याख्यान देने के लिए आये हुए हैं. डॉ राधाकृष्ण सेमिनार हॉल में 26 अप्रैल को...
More »भुखमरी कैसे खत्म हो - सचिन कुमार जैन
भुखमरी आज के समाज की एक सच्चाई है परन्तु मध्यप्रदेश के सहरिया आदिवासियों के लिये यह सच्चाई एक मिथक से पैदा हुई, जिन्दगी का अंग बनी और आज भी उनके साथ-साथ चलती है भूख. अफसोस इस बात का है कि सरकार अब जी जान से कोशिश में लगी हुई है कि भूखों की संख्या कम हो. वास्तविकता में भले इसके लिये प्रयास न किये जायें लेकिन कागज में तो सरकार...
More »पड़ सकते हैं रोटी के लाले
इलाहाबाद : इस बार अन्नदाताओं पर दोहरी मार पड़ रही है। गर्मी के चलते गेहूं की पैदावार मनमाफिक नहीं हुई, उस पर दाने भी पतले हैं। जिन्हें खरीदने के लिये सरकार तैयार नहीं। कृषि विभाग के अफसर भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जनपद में खोले गए 54 गेहूं क्रय केन्द्रों पर सन्नाटा क्यों पसरा है। अगर यही हाल रहा तो आम लोगों को आने वाले दिनों में रोटी के लाले पड़े सकते...
More »हमारी खेती अमेरिका से अच्छी- वंदना शिवा
वंदना शिवा राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मंचों पर खेती के सवाल पर लगातार लड़नेवाली लड़ाका हैं. वे इंटरनेशनल फोरम आन ग्लोबलाईजेशन की सदस्य हैं. उनसे एक महत्वपूर्ण बातचीत.विस्फोट डाट कॉम से साभार) दूसरी हरित क्रांति की बात हो रही है. आपकी असहमति और सहमति किसरूप में रेखांकित होती है? मैंनेजब 1984 में हरित क्रांति का विरोध शुरू किया था तो इसके पीछे एक मकसद था। कहा जाताथा कि पंजाब में हरित क्रांति से...
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