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बेरोजगारी की गंभीर चुनौती-- आशुतोष चतुर्वेदी

कुछ दिन पहले बिहार के मुंगेर जिले से एक चौंकाने वाली खबर आयी कि रेलवे में नौकरी के लिए बेटे ने अपने पिता की हत्या की सुपारी दे दी. खबर बहुत सुर्खियों में नहीं आ सकी, इसलिए बहुत लोगों का ध्यान इस ओर नहीं गया. रेलवे कर्मचारी को गोली मारकर हत्या के प्रयास में एक दिन बाद पुलिस ने आरोपी बेटे को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के अनुसार बेटे ने...

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अराजकता की आती आहटें-- पवन के वर्मा

अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) छात्र संघ के कार्यालय में वर्ष 1938 से लगी मुहम्मद अली जिन्ना की तस्वीर को लेकर इस यूनिवर्सिटी में अशांति के चालू दौर में एक-दूसरे से बिलकुल अलग दो विचारणीय विषय हैं. पहला, क्या एएमयू में ऐसे व्यक्ति की तस्वीर लगी रहनी चाहिए, जिसने भारत विभाजन हेतु सक्रियता से कार्य किया, पाकिस्तान बनवाया और हिंदुओं तथा मुसलिमों के बीच नफरत को हवा दी? दूसरा, यदि...

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मीडिया की आजादी के सवाल-- एम वेंकैया नायडू

जानवर और इंसान में यही फर्क है कि इंसान कुछ नियमों से संचालित होता है, जो व्यवस्थित जीवन की जरूरी शर्त है, अन्यथा तो एक जंगल राज होगा, जहां बलशाली ही राज करता है। व्यवस्थित जीवन का मतलब है, एक तरह का संवाद संतुलन, जो किसी एक घटक को किसी भी स्तर पर निरंकुश होने का अधिकार नहीं देता। आजादी कैसी भी हो, आत्मसंयम मांगती है। भारतीय संविधान कुछ मौलिक...

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न्याय की वेदी पर खंड-खंड पाखंड - भवदीप कांग

अपने आश्रम में एक नाबालिग से दुष्कर्म के मामले में आसाराम को जोधपुर कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुना दी है। यह वही आसाराम है, जिसका कभी बड़ा रसूख हुआ करता था। अपने इसी रसूख के दम पर उसने एक बार यहां तक कि गुजरात की तत्कालीन मोदी सरकार को गिराने की धमकी भी दे डाली थी। यूं देखा जाए तो राजनीतिक प्रश्रय की वजह से ही कथावाचक आसाराम के...

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बदलती हवा और गैर-पेशेवर पुलिस-- विभूति नारायण राय

पिछले कुछ दिनों से भारतीय मर्दों या लड़कों के वहशीपन के किस्से मीडिया में छाए हुए हैं। ऐसा नहीं है कि ये पुरुष अचानक जानवर बन गए हैं। दुधमुंही बच्चियां, छोटी-बड़ी लड़कियां और यहां तक कि बूढ़ी औरतें भी पूरी तरह से भारतीय समाज में कभी सुरक्षित नहीं रही हैं। भारतीय संस्कृति की महानता के कुछ पैरोकारों के इन दावे पर कि इसके लिए तेजी से बढ़ती पाश्चात्य मूल्यों की...

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