दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन की जल त्रासदी चौंकाने से ज्यादा डराने वाली है। यह दुनिया के बेहतरीन शहरों में से एक माना जाता है और हमेशा अपनी खूबसूरती के लिए चर्चा में रहा है। लेकिन आज केपटाउन दूसरी वजह से सुर्खियों में है। यहां पानी का संकट अपने चरम पर पहुंच चुका है। पिछले एक दशक से वैसे भी यह शहर पानी की किल्लत से गुजर ही रहा था और...
More »SEARCH RESULT
देश के कई हिस्सों में मौसम का कहर, बारिश और ओलों से फसल को नुकसान
नई दिल्ली। रविवार के दिन देश के कई राज्यों में मौसम ने अचानक अपना रुख बदला और नतीजा यह रहा है कि मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में ओले गिरने से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है। बारिश व ओले के कारण मध्यप्रदेश में 6 की मौत हो गई वहीं फसलों को नुकसान भी पहुंचा है। इसके अलावा पहाड़ों में हुई बर्फबारी से मैदानी इलाकों में तापमान में गिरावट नजर आई...
More »इस शहर में बचा है केवल 30 दिन का पानी, फ्लश तक की मनाही
दक्षिण अफ्रीका का केपटाउन शहर भयंकर जल संकट से गुजर रहा है। तीन साल लंबे सूखे ने शहर की कमर तोड़ दी है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि शहर में 90 दिनों के भीतर पानी खत्म हो सकता है। बढ़ती जनसंख्या से दबाव बझ़ रहा है, केपटाउन की जनसंख्या 40 लाख है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 11 मई, 2018 वह तारीख होगी जब यहां की समस्या बेहद...
More »आर्थिक सर्वेक्षण : जलवायु-परिवर्तन से 25% तक घट सकती है किसान की आय
किसान की आमदनी साल 2022 तक दोगुनी करने के सरकार के वादे की राह में बड़ी बाधा जलवायु-परिवर्तन बन सकता है. नये आर्थिक सर्वेक्षण के तथ्य बताते हैं कि अगले कुछ सालों में जलवायु-परिवर्तन की वजह से खेतिहर आमदनी में 25 फीसद तक की कमी आ सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल जलवायु-केंद्रित अध्याय के मुताबिक किसी साल औसत तापमान के 1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने पर सिंचाई की सुविधा से वंचित इलाकों में...
More »खेती किसानी की हालत : आखिर कृषि मंत्रालय के आंकड़ों का सच क्या है ?
दो मंत्रालय और दो तरह के आकलन, क्षेत्र मगर एक, खेती-किसानी का ! आकड़ों के विरोधाभास की ऐसी हालत में कोई वास्तविक स्थिति का किस तरह अनुमान लगाये ? अगर ऊपर लिखी बात आपको किसी पहेली की तरह लग रही हो तो इस तथ्य पर गौर कीजिए-केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के नये आंकड़े में अनुमान लगाया गया है कि कृषि-क्षेत्र में सकल मूल्य वर्धन(जीवीए) पिछले साल के मुकाबले कम होगा. लेकिन, कृषि...
More »