सत्ता में किसी राजनेता का पहला साल हनीमून का दौर माना जाता है। उम्मीदों ने आसमान से उतरना भले ही शुरू कर दिया हो, लेकिन पहले 365 दिन में वे औंधे मुंह गिर जाएं, ऐसा अक्सर नहीं होता है। योजनाओं, नीतियों व फैसलों के नतीजे आने शुरू नहीं होते, इसलिए आलोचकों के पास कहने को ज्यादा कुछ होता नहीं है। विपक्षी दलों के पास भले ही ढेर सारी आपत्तियां हों,...
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भूमंडलीकरण और भ्रष्टाचार विरोधी स्वर- नयन चंदा
खुला आसमान - वैश्वीकरण के कारण भारत, चीन, ब्राजील, तुर्की और थाइलैंड सहित कई देशों में जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर हो गई है। भूमंडलीकरण के कारण से दुनियाभर में कई तरह की हवाएं चल रही हैं। इसमें भ्रष्टाचार भी है। कई देशों में इसके खिलाफ स्वर उठने लगे हैं। ऐसा नहीं है कि भ्रष्टाचार का सीधा संबंध भूमंडलीकरण से है लेकिन व्यापार और निवेश के लिए दूसरे देशों में...
More »एनजीओ की नकेल कसना जरूरी - नंटू बनर्जी
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने फॉरेन कॉन्ट्रिब्यूशन रजिस्ट्रेशन एक्ट 2010 के तहत कोई 9000 गैर सरकारी संस्थाओं (एनजीओ) के पंजीयन रद्द कर दिए हैं। अब इनमें से कोई भी एनजीओ विदेशी अनुदान हासिल नहीं कर सकेगा। इससे अमेरिका नाहक ही नाराज हो गया है। अगर भारत के गृह मंत्रालय को लगता है कि विदेशी पूंजी से पोषित किन्हीं एनजीओ की गतिविधियों के चलते देश की सामाजिक स्थिति और आर्थिक प्रगति प्रभावित...
More »तंबाकू का अर्थशास्त्र- पुष्परंजन
पूरी दुनिया को पता है कि विल्स कंपनी सिगरेट और तंबाकू का कारोबार करती है। अगर कोई विल्स की टी-शर्ट पहने, तो संदेश यही जाता है कि वह इस कंपनी के उत्पाद का प्रचार कर रहा है। ऐसे कई सारे फोटो इंटरनेट पर अब भी मौजूद हैं, जिनमें क्रिकेट के भगवान कहे गए सचिन तेंदुलकर विल्स की टी-शर्ट पहने हुए हैं। यों भारत रत्न सचिन तेंदुलकर ने पांच-छह साल पहले इसकी...
More »प्रवासी कामगारों की बेहतरी की चिंता- पत्रलेखा चटर्जी
यमन में गृहयुद्ध ने पश्चिम एशिया में भारतीय प्रवासियों की दुर्गति को केंद्र में ला दिया है। वैसे तो हमारी सरकार युद्धरत क्षेत्र से भारतीयों को निकाल लाने की हरसंभव कोशिश कर रही है, लेकिन अनेक भारतीय ऐसे हैं, जो खुद ही वहां से नहीं निकलना चाहते। मसलन, केरल की अनेक नर्सें, जिनके अभिभावकों ने पहले उनके प्रशिक्षण, और फिर उन्हें विदेश भेजने के लिए भारी कर्ज लिया, वहां से...
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