न्यायिक व्यवस्था के पतन एवं सड़ांध पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष दुष्यंत दवे ने माननीय न्यायाधीशों से बुर्का पहनकर बाहर घूमने का आग्रह किया, जिससे उन्हें बेंच (अदालतों) की नाकामी की हकीक़त पता चल सके, लेकिन इस सड़ांध की जिम्मेदारी सिर्फ जजों पर ही क्यों? कुछ दिन पूर्व दिल्ली के तत्कालीन कानून मंत्री जितेंद्र सिंह तोमर को लॉ की फर्जी डिग्री के आरोप में...
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आदिवासियों के लिए नए खतरे-- के सी त्यागी
निजी क्षेत्र के उद्योगों को वन भूमि आवंटित करने वाले सरकार के हालिया फैसले ने एक बार फिर आदिवासियों को चिंतित किया है। केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से निजी कंपनियों को पेड़ों की कटाई की आजादी होगी। यह विधेयक संसद के आगामी सत्र में पेश किया जा सकता है, लेकिन साफ है कि इस दिशा में किसी भी तरह का संशोधन वन अधिकार अधिनियम को...
More »शिक्षा और स्वास्थ्य के बाद जल संसाधन विभाग में भी आउटसोर्सिंग
विनोद सिंह, जगदलपुर (ब्यूरो)। आदिवासी बहुल बस्तर संभाग में शिक्षा और स्वास्थ्य विभाग के बाद अब जल संसाधन विभाग ने भी सर्वे के लिए निजी एजेंसी से निविदा बुलाई है। पड़ोसी राज्य आंध्रप्रदेश में निर्माणाधीन पोलावरम परियोजना से सुकमा जिले को होने वाले नुकसान का आंकलन निजी एजेंसी से कराने निविदा बुलाई जा चुकी है। अब तक जल संसाधन विभाग में योजनाओं के निर्माण के लिए सर्वे और प्राक्कलन तैयार करने...
More »शौचालय नहीं था इसलिए छोड़ दिया पिया का घर!
अरविन्द शर्मा, इटारसी(मध्यप्रदेश)। अपनी ससुराल में शौचालय न होने से तंग आकर एक विवाहिता पिछले दो साल से पिया का घर छोड़कर अपने पीहर (मायके) में रहने को मजबूर है। पति के साथ सात फेरे लेकर हर विवाहिता यह वचन लेकर जाती है कि अर्थी उठने तक वह अपने पिया के घर ही रहेगी, लेकिन शाहपुर तहसील के ग्राम पतौआपुरा में ब्याही एक नवविवाहिता को पक्का शौचालय न होने से...
More »सबर आदिवासियों के सब्र की इंतेहा-- ज्यां द्रेज
आदिवासी सबर समुदाय को जब तक कोई नजदीक से न देखे तब तक कभी जान नहीं सकता कि वो कैसे रहते हैं. और वहां तक पहुंचने के लिए भी ऐसे किसी इंसान से मदद लेनी पड़ेगी, जो उनकी रिहाइश के बारे में जानता है. हम किसी तरह झारखंड के पूर्वी सिंहभूम ज़िले में पोटका ब्लॉक के सुदूर इलाक़े की पतली पगडंडियों को पार करते हुए उनके घरों या कहें बिखरी हुई झोपड़ियों...
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