लेखा (अकाउंट) पुस्तिका ग्राम पंचायत, पंचायत समिति और जिला परिषद तीनों स्तर की पंचायतों को अपनी आमदनी और खर्च का ब्यौरा एक पुस्तिका में रखना जरूरी है. इस पुस्तिका को लेखा पुस्तिका या अकाउंट बुक कहते हैं. पत्रों की संख्या को प्रमाणित करना उपयोग में लाने से पहले लेखा-पुस्तिका को जिल्द में बाधा जाना होता है और उसके हरेक पत्रे पर पेज संख्या लिखना जरूरी होता है. ग्राम पंचायतों एवं पंचायत समिति की लेखा...
More »SEARCH RESULT
नकद पैसे का खेल- बनवारी
जनसत्ता 14 फरवरी, 2013: मनमोहन सिंह सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि गरीबी एक आर्थिक और राजनीतिक समस्या के बजाय अब केवल वित्तीय समस्या रह गई है। केंद्र सरकार की प्राथमिक चिंता अब न बेरोजगारी है, न महंगाई। देश की इन दो सबसे बड़ी समस्याओं से मुंह चुराने का उसने एक आसान उपाय निकाल लिया है। देश के गरीब लोगों के हाथ में दमड़ी रख दो; इससे सरकार के कल्याणकारी...
More »कर ढांचे की कमजोर कड़ियां- अभिनव श्रीवास्तव
जनसत्ता 8 फरवरी, 2013: बीते दिनों जब प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन ने सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले कर-अनुपात बढ़ाने के लिए अमीरों पर ऊंची दर से कर लगाए जाने की बात कही तो उनका यह बयान सीधे तौर पर दो घटनाओं से प्रभावित रहा होगा। पहली घटना का संबंध अमेरिका से है, जहां पिछले बीस सालों में पहली बार अमेरिकी सीनेट ने अमीरों पर कर बढ़ाने के प्रस्ताव को...
More »तेल का काला खेल- अरविन्द सेन
जनसत्ता 31 जनवरी, 2013: ममता बनर्जी के गति अवरोधक से आजाद कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए सरकार अब निवेशकों की दिखाई राह पर दौड़ रही है। रेल किरायों में बढ़ोतरी के बाद अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के नाम पर डीजल सुधारों का जुमला छोड़ा गया है। डीजल के दाम में पचास पैसे का इजाफा करते हुए सरकार ने कहा है कि अब से हर महीने डीजल की कीमत एक रुपए...
More »गरीबों की पहुंच से ऊपर हो रही है दिल्ली- मनोज मिश्र
नई दिल्ली । दिल्ली और एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) को आम की बजाए खास आदमी का शहर बनाने की तैयारी हो रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि एनसीआर के कई इलाके उजड़ने के कगार पर हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो दिल्ली के ज्यादातर इलाके स्लम जैसे बनते जा रहे हैं। 1483 वर्ग किलोमीटर की दिल्ली का महज पांचवा हिस्सा ही रिकार्ड में बचा है, जिसे...
More »