करीब साल भर पहले तहलका ने तस्करी के शिकार उन बच्चों की व्यथा उजागर की थी जिनसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के खेतों में बंधुआ मजदूरी करवाई जाती है. हाल में ऐसे दो बच्चों की बरामदगी ने न सिर्फ फिर हमारी पड़ताल की पुष्टि की है बल्कि यह भी ध्यान दिलाया है कि तस्करी के इस व्यवस्थित नेटवर्क के खिलाफ व्यापक कार्रवाई होनी चाहिए. प्रियंका दुबे की रिपोर्ट. पिछले 11 महीने से गन्ने...
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महंगाई की चिंता में सिर्फ 50 बढ़ा गेहूं का एमएसपी
अनदेखी - न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने में कृषि मंत्रालय की नहीं चली विरोध - गेहूं के एमएसपी में मात्र 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 1,400 रुपये, चने के एमएसपी में 100 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,100 रुपये और सरसों के एमएसपी में भी 50 रुपये की बढ़ोतरी कर भाव 3,050 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है, इससे किसानों में...
More »फिर सवालों के बीच 'बालको'- प्रियंका कौशल
छत्तीसगढ़ में उद्योग सारे नियम कायदे ताक पर रखकर मनमानी करने में लगे हुए हैं. इसका ताजा उदाहरण रायगढ़ के धरमजयगढ़ इलाके के तीन गांव रुकुंगा, बायसी और तराईमार में देखने में आया है. यहां भारत एल्युमिनियम कंपनी (बालको) ने ग्रामीणों के विरोध के बावजूद ग्राम सभा में भूमि व्यापवर्तन (डायवर्शन) का प्रस्ताव पास करवा लिया. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. दरअसल धरमजयगढ़ में आने वाला दुर्गापुर तराईमार कोल ब्लॉक बालको को...
More »‘हिंसा-अहिंसा की बहस अब बेमानी हो गई है’
अपनी नई डॉक्युमेंटरी फिल्म में फिल्मकार संजय काक भारत के भीतरी राज्यों छत्तीसगढ़, उड़ीसा और पंजाब के सफर पर ले चलते हैं, जहां क्रांति का सपना पल रहा है. अंग्रेजी में ‘रेड ऐंट ड्रीम’ और हिंदी में ‘माटी के लाल’ नाम से बनी यह फिल्म उन संघर्षों को पेश करती है जिनसे भारत में क्रांति की संभावनाएं जुड़ी हुई हैं. इसमें बस्तर में भारतीय राज्य के विरुद्ध संघर्षरत हथियारबंद आदिवासी,...
More »आरटीआइ के सहारे विस्थापन के खिलाफ जंग- पुष्यमित्र
आरटीआइ के जरिये बदलाव की कई कहानियां हमने देखी सुनी है और उनके जरिये इस अधिकार की ताकत को महसूस किया है. मगर इसके जरिये झारखंड में विस्थापन के खिलाफ जो जंग लड़ी गयी हैं, उसकी कोई मिसाल नहीं है. सदियों से विस्थापन का क्रूरतम शिकार रहे झारखंड के आदिवासियों के लिए आरटीआइ एक नयी ताकत बन कर उभरा है. चाहे अर्सेलर मित्तल के स्टील प्लांट का मसला हो या नगड़ी...
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