हाल ही में अपने ‘मन की बात' कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने एक सामान्य-सी बात कही, जो सेहत के लिहाज से न केवल हमारे आज, बल्कि आने वाले कल के संदर्भ में भी बेहद जरूरी बात है। उन्होंने कहा कि ‘‘डॉक्टर के कहने पर ही एंटीबायोटिक लें, चिकित्सकों के निर्देश के बिना एंटीबायोटिक दवाओं का सेवन न करें। एंटीबायोटिक दवाएं लेने की आदत एक बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकती है। यह...
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सात दशक के बाद-- रघु ठाकुर
स्वतंत्रता और स्वाधीनता का क्या अर्थ है? स्वतंत्रता एक व्यवस्थागत आजादी का बोध कराती है। मसलन, स्वतंत्र यानी हमारे देश का अपना प्रशासन, अपनी शासन-प्रशासन प्रणाली। पर स्वाधीनता उससे कुछ ज्यादा व्यापक अर्थ देती है, जिसमें किसी भी प्रकार की अधीनता न हो। एक देश के रूप में हम अपने ही अधीन हों- एक नागरिक के रूप में, हम अपनी अंतरात्मा के अधीन हैं। अब प्रश्न यह है कि आज...
More »जैनरिक दवाओं पर ब्रांड का ठप्पा, मुनाफा मनमाना
ग्वालियर, डॉ.अमरनाथ गोस्वामी। मोटा मुनाफा कमाने के लिए दवा कंपनियों ने बाजार में ब्रांडेड जैनरिक दवाएं उतार दी हैं। ये दवाएं है तो जैनरिक, लेकिन इन्हें एक अलग ब्रांड बनाकर बेचा जा रहा है। ब्रांड का ठप्पा होने के कारण इनके इथिकल या जैनरिक होने की पहचान खत्म हो गई है। इसका खामियाजा आम आदमी को ही भुगतना पड़ रहा है। इन दवाओं की कीमत में औसतन 100 से 150...
More »अबॉर्शन लॉ भारत में हर 10 में से 7 महिलाएं नहीं सहमत
भारत के 20 सप्ताह वाले वर्तमान अबॉर्शन लॉ से हर 10 में से 7 महिलाएं सहमत नहीं हैं। यह जानकारी फ्रांस की एक कंपनी द्वारा करवाए गए ऑनलाइन शोध में सामने आई है। इसमें 70% ने कहा कि महिला जब चाहे उसे गर्भपात की इजाजत होनी चाहिए। हालांकि 30 फीसदी इसके खिलाफ हैं। यह अध्ययन 23 देशों में ऑनलाइन किया गया। इसका मकसद इस मुद्दे पर वैश्विक राय जानना था।...
More »इतना काफी नहीं कर्मचारियों के लिए --- वरुण गांधी
कमजोर सेवा और कम उत्पादकता के कारण आम आदमी ही नहीं, निवेशक भी हमारी नौकरशाही की व्यवस्था को लेकर अच्छी राय नहीं रखते। फिर भी, इस सच्चाई को अनदेखा कर दिया जाता है कि सरकारी कर्मचारी, खासतौर से ऊंचे दर्जे के कर्मी, निजी क्षेत्र के कर्मियों के मुकाबले कम वेतन पर काम करने को मजबूर हैं। मसलन, 25 साल का अनुभव रखने वाले सरकारी डॉक्टर को औसतन 2.1 से 2.8...
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