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भारत की प्रशासनिक सेवाओं में महिलाएं इतनी कम क्यों?

-इंडियास्पेंड, साल 1951 में पहली बार जब भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) में महिलाओं को शामिल करने का फैसला लिया गया तो एक महिला थी, लगभग सात दशक बाद 2020 में महिलाओं की संख्या कुल आईएएस अधिकारियों का सिर्फ 13% है। अशोका यूनिवर्सिटी में त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा (टीसीपीडी) द्वारा संकलित भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी डेटासेट (Indian Administrative Service Officers Dataset) को लेकर किए गए विश्लेषण में इंडियास्पेंड ने पाया कि 1951...

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नीति आयोग का स्वास्थ्य सूचकांक: नहीं काम आ रहा 'डबल इंजन’, यूपी-बिहार सबसे नीचे

-न्यूजक्लिक, देश ललकारने वाले अंधे नारों से मिलकर नहीं बनता। ना ही कुछ अमीर लोगों के पैसे से बनता है। देश इंसानों से मिलकर बनता है। इसलिए किसी देश की तरक्की का सबसे बड़ा पैमाना वही है जो इंसानों की तरक्की के होते हैं। इसी में से एक पैमाने का नाम है देश का स्वास्थ्य क्षेत्र। इस स्वास्थ्य क्षेत्र को लेकर नीति आयोग की स्वास्थ्य सूचकांक की चौथी रिपोर्ट आई है।...

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जलवायु परिवर्तन से उपजी चरम मौसमी घटनाओं ने 2021 में दुनिया के खरबों डॉलर डुबा दिए

-जनपथ, दुनिया की सबसे महंगी चरम मौसमी घटनाओं में से दस की लागत 1.5 ट्रिलियन डॉलर से अधिक है। इस सूची में अमेरिका में अगस्त में आया तूफ़ान इडा सबसे ऊपर है, जिसकी अनुमानित लागत 65 बिलियन डॉलर है। वहीँ जुलाई में यूरोप में आयी बाढ़ में 43 अरब डॉलर का नुकसान हुआ था। इन आंकड़ों का ख़ुलासा करती है क्रिश्चियन एड की ताज़ा रिपोर्ट काउंटिंग द कॉस्ट 2021: ए ईयर ऑफ...

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भारतीय लोकतंत्र में लगातार बढ़ रही आर्थिक असमानता पर चर्चा कब होगी?

-जनपथ, विश्व असमानता रिपोर्ट 2022 के आंकड़ों के बाद भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता फिर चर्चा में है। रिपोर्ट के अनुसार भारत में एक प्रतिशत सर्वाधिक अमीर लोगों के पास 2021 में कुल राष्ट्रीय आय का 22% हिस्सा था, जबकि शीर्ष 10% लोग राष्ट्रीय आय के 57 प्रतिशत भाग पर काबिज थे। हमारे देश की आधी आबादी सिर्फ 13.1 फीसदी कमाती है। रिपोर्ट के आने के बाद होने वाली चर्चाएं प्रायः शीर्ष...

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बुंदेलखंड: पानी की तरह बहा पैसा, लेकिन लोगों की प्यास नहीं बुझी

-बीबीसी, ''पानी की बहुत परेशानी है हमें. चार किलोमीटर दूर से पानी लाते हैं. पानी की परेशानी इतनी है, पूरे गांव भर को परेशानी है. हमें ही नहीं पूरे गांव को है. यहां हमें पानी की सुविधा हो जाए तो क्यों भागे भागे जाएं रोड पार करके. कभी रात को जाएं कभी आधी रात को जाएं, क्या करें दिनभर भरते रहें.'' उत्तर प्रदेश के ललितपुर ज़िले की रहने वाली सुखवती ये कहते...

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