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2020 लॉकडाउन के बाद भारत में अमीरों की हैसियत घटने से आय की असमानताओं में आई कमी, आर्थिक स्टडी का दावा

-द प्रिंट, कोविड-19 महामारी के दौरान भारत में लाखों लोग गरीबी के गर्त में चले गए, लेकिन शुरुआती कड़े लॉकडाउन के बाद की अवधि में, देश आय की असमानताओं में भी कमी देखी गई- ये खुलासा पिछले महीने प्रकाशित एक वर्किंग पेपर में किया गया है. ‘कोविड के दौरान भारत में असमानता घटी’ शीर्षक से इस पेपर में जिसे अर्थशास्त्र पर शोध और उसका प्रसार करने वाली, अमेरिका में स्थित एक गैर-मुनाफा...

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पीएमजेएवाई का सच: कोविड-19 की दूसरी लहर में निजी बीमा कंपनियों ने की मनमानी

-डाउन टू अर्थ, स्वास्थ्य के क्षेत्र में बीमा केंद्रित दृष्टिकोण महामारी के दौरान कितना प्रभावी रहा?  कोरोना काल में बीमाधारकों के अनुभव बताते हैं कि उन्हें वादों के अनुरूप बीमा का लाभ नहीं मिला। ऐसे में क्या सरकार स्वास्थ्य के बुनियादी ढांचे पर फिर से अपना ध्यान केंद्रित करेगी? हम एक लंबी सीरीज के जरिए आपको बीमा के उन अनुभवों और सच्चाईयों से वाकिफ कराएंगे जिसकी सबसे ज्यादा जरूरत जब थी,...

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नवीनतम एनएफएचएस डेटा: कुल प्रजनन दर में गिरावट की प्रवृत्ति के बीच केरल और तमिलनाडु अपवाद बनकर उभरे‍!

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण पांचवें दौर (एनएफएचएस-5) के दूसरे चरण के आंकड़े जारी होने के बाद, मीडिया टिप्पणीकारों और विशेषज्ञों ने लिखा है कि भारत के लिए कुल प्रजनन दर (टीएफआर) प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता से नीचे चली गई है. साल 2015-16 में पूरे देश का कुल प्रजनन दर (टीएफआर) 2.2 थी, जो 2019-21 में घटकर 2.0 हो गई है. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, प्रतिस्थापन स्तर की प्रजनन क्षमता तब...

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जलवायु संकट पर अमीर देशों और भारत के ताकतवर लोगों के भरोसे रहना बड़ी भूल

-कारवां,  हाल ही में 31 अक्टूबर और 12 नवंबर के बीच ग्लासगो में संपन्न हुई जलवायु परिवर्तन की 26वीं अंतर्राष्ट्रीय वार्ता में भारत सहित कई विकासशील देशों ने जलवायु न्याय का मुद्दा उठाया. इन देशों की मांग वाजिब है क्योंकि बैंगलुरु के राष्ट्रीय प्रगत अध्ययन संस्थान की डॉक्टर तेजल कानिटकर के अनुसार, विश्व के सबसे धनी देश 1990 में अंतर्राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन के समझौतों पर चर्चा शुरू होने तक जलवायु परिवर्तन...

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दिल्ली के गरीब भूखे और हताश हैं, उनके पेट में भूख की 'आग' जल रही है

-न्यूजक्लिक, बढ़ते कर्ज़, महीनों का बकाया किराया, बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज़ और अपने दो बेटों की शिक्षा पर होने वाले खर्च ने, हसनारा बेगम की रातों की नींद हराम कर रखी है और उसका परिवार दैनिक भोजन के इंतजाम के लिए संघर्ष कर रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर की रहने वाली हसनारा बेगम दिल्ली के उन लाखों निवासियों में शामिल हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं...

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