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मलियाना नरसंहार के 34 साल: हाशिमपुरा की तरह क्या यहां के पीड़ितों को न्याय मिल पाएगा?

-द वायर, 22-23 मई को मेरठ जिले के मलियाना गांव में हुए नरसंहार और मेरठ दंगों के दौरान जेलों में हिरासत में हुईं हत्याओं की 34वीं बरसी है. उस दिन उत्तर प्रदेश की कुख्यात प्रांतीय सशस्त्र पुलिस बल (पीएसी) द्वारा मेरठ के हाशिमपुरा मोहल्ले से 42 मुस्लिम युवकों उठाकर हत्या कर दी गई थी, जबकि अगले दिन 23 मई को पास के मलियाना गांव में 72 से अधिक मुसलमानों को मार...

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गांवों में गहराता कोरोना संकट: उत्तर प्रदेश में 97409 राजस्व गांवों में जांच के लिए अभियान

-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश में संपन्न हुए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के बाद स्थिति अभी तक बेकाबू है। जारी लॉकडाउन के बीच पंचायत चुनाव परिणाम के बाद जगह-जगह लोग जीत का जश्न मना रहे हैं। वहीं, अब भी कई ग्रामीण सीटों के परिणाम आना बाकी हैं, जिसका पटाक्षेप 4 मई को होगा। प्रदेश में लागू आंशिक लॉकडाउन न तो प्रभावी है और न ही गांवों में भीड़ की स्थिति सुधर रही...

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जच्चा-बच्चा सर्वे: गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं का एक बड़ा हिस्सा अभी भी मातृत्व लाभ से वंचित है

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम 2013 मातृत्व लाभ के लिए गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं के लिए केंद्र सरकार द्वारा 6,000 रुपए/ - प्रति बच्चा की गारंटी देता है. इस अधिनियन में वह शामिल नहीं हैं, जो केंद्र सरकार या राज्य सरकारों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के साथ या अन्य कानूनों के तहत नियमित रोजगार में रहते हुए इस तरह के लाभ उठा रहे हैं. एनएफएसए-2013 भी कानूनी...

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नई ILO रिपोर्ट: टेक्नोलॉजी आधारित नए डिजिटल श्रम प्लेटफार्म श्रमिकों के अधिकारों की अनदेखी कर रहे हैं!

वेबआधारित और प्लेटफॉर्म श्रमिकों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं हम में से हर एक के जीवन को प्रभावित करती हैं, लेकिन श्रम क्षेत्र को बदलने में डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों की भूमिका के बारे में ऐसी जानकारियां बहुत कम है. ऐसे डिजिटल श्रम प्लेटफार्मों ने श्रमिकों, व्यवसायों और समाज के लिए अभूतपूर्व अवसर पैदा किए हैं. हालांकि, ये डिजिटल प्लेटफॉर्म उचित काम और निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा के लिए गंभीर खतरे भी पैदा...

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कोरोना महामारी ने मनरेगा के सामाजिक ऑडिट सिस्टम को प्रभावित किया है!

जब महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) - एक मांग-संचालित कार्यक्रम पर सार्वजनिक धन का एक बड़ा हिस्सा खर्च किया जाता है, तो वित्तीय गड़बड़ी और कुप्रबंधन की संभावना होती है. शुक्र है कि ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून में इस तरह की गड़बड़ियों को रोकने के लिए चेक और बैलेंस मौजूद हैं. यह ध्यान देने योग्य है कि महात्मा गांधी ग्रामीण रोजगार गारंटी कार्यक्रम (MGNREGA) के तहत 2020-21 के लिए...

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