'सामाजिक न्याय पीठ' गठित करने के प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू के फैसले से गरीब और कमजोर तबकों में नई उम्मीद जगेगी। इससे उन मामलों को तार्किक मुकाम तक पहुंचाने में मदद मिल सकती है, जिनमें सुप्रीम कोर्ट ने हस्तक्षेप किया, लेकिन बात ज्यादा आगे नहीं बढ़ सकी। अब अगले 12 दिसंबर से न्यायमूर्ति मदन बी. लोकुर और न्यायमूर्ति यूसी ललित की नई बेंच हर शुक्रवार को दोपहर बाद बैठेगी और...
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कानून, कारागार और कैदी- केपी सिंह
जनसत्ता 19 सितंबर, 2014: उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में व्यवस्था दी है कि उन विचाराधीन आरोपियों को तुरंत जमानत पर रिहा किया जाए जिन्होंने अपने ऊपर लगे अभियोग की संभावित अधिकतम सजा का आधा समय बतौर आरोपी जेल में व्यतीत कर लिया है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि जिला न्यायिक सेवा प्राधिकरण से संबंधित न्यायिक अधिकारी अपने अधिकार-क्षेत्र में प्रत्येक कारावास पर जाकर इस प्रकार के...
More »आधी सजा भुगती, अब पूरा इंसाफ - जगदीप धनकड़
गत सप्ताह सर्वोच्च अदालत ने उन विचाराधीन कैदियों की रिहाई के आदेश दिए, जो उन पर लगाए गए आरोपों के लिए निर्धारित सजा की आधी अवधि पहले ही काट चुके हैं। इस निर्णय के बाद अब लगभग दो लाख कैदी जेल से मुक्त हो सकेंगे। इनमें से अधिकतर गरीब, अशिक्षित या अर्द्धशिक्षित हैं और ये बहुत मामूली अपराधों के चलते जेल की सजा काटने को मजबूर हो रहे हैं। उन्हें...
More »बच्चों के हित में एकीकृत बाल संरक्षण योजना- आर के नीरद
मित्रो, बच्चों के अधिकार, स्वास्थ्य और भविष्य को लेकर परिवार, समाज और सरकार सभी चिंता करते हैं. ये इन सभी के भविष्य की बुनियाद हैं. इन्हें जितना मजबूत बनाया जायेगा, सब का भविष्य उतना ही उज्ज्वल होगा. इस तथ्य के बाद भी आंकड़े बताते हैं कि हम बच्चों की जान बचाने में अब भी पीछे हैं. जो बच्चे पैदा हो रहे हैं, उनमें कुपोषित बच्चों की संख्या भी अधिक होती है. बच्चों...
More »न्यायिक स्वतंत्रता का सवाल- राजीव धवन
सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू कुछ कहते हैं, तो उस पर सबका ध्यान जाता है। लेकिन इस बार मामला अलग है। स्वाभाविक है, जब वह न्यायपालिका पर राजनीतिक दबाव में आने का आक्षेप लगा रहे हों, और उसकी स्वतंत्रता पर सवाल खड़े कर रहे हों, तो यह महज संवाद बनकर नहीं रह सकता। आखिर यह मामला तीन पूर्व प्रधान न्यायाधीश और सीधे तौर पर पिछली यूपीए सरकार के...
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