जनसत्ता 23 मार्च, 2013: भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू ने पत्रकारों की योग्यता मापने के पैमाने तय करने के जिन उपायों की बात की है उनसे स्वाभाविक ही विवाद पैदा हो गया है। उनके अव्यावहारिक नुस्खों से किसी भी तरह सहमत नहीं हुआ जा सकता। पत्रकारिता में आई गिरावट के लिए जिन चीजों को वे जिम्मेदार बता रहे हैं, उन्हीं से पता चलता है कि वे समस्या...
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आधी आबादी का पूरा हक ।।किरन राव।।
सिर्फ महिला दिवस आने पर ही महिलाओं की उपलब्धियों की चर्चा क्यों की जाती है? जेंडर पूर्वाग्रह का यह सबसे बड़ा कारण है. जरूरी है कि हम पूरे साल महिलाओं की उपलब्धियों की चर्चा करें और उनको प्रोत्साहित करें. क्यों किसी महिला का नाम तब तक हमारी जुबान पर नहीं आता, जब तक वह बड़ा कीर्तिमान स्थापित नहीं कर लेती. मेरीकॉम बिल्कुल विपरीत परिस्थिति में खुद को तैयार करती हैं, लेकिन लोग...
More »'सत्यमेव जयते': मार्केटिंग का कमाल या आमिर का धमाल?
नई दिल्ली. आमिर खान के शो ‘सत्यमेव जयते’ की इस वक्त जबरदस्त चर्चा हो रही है। बीते रविवार को पहली बार टीवी पर दिखाए गए इस शो की काफी तारीफ भी हो रही है तो कुछ लोग इस शो और इसके होस्ट आमिर की आलोचना भी कर रहे हैं। लेकिन कुल मिलाकर आमिर का यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट लोगों के बीच बहस का मुद्दा बना हुआ है। चाहे वह आमिर की कोई नई...
More »एक प्रदेश के अंधेरे-उजाले : राजदीप सरदेसाई
हम भारतीयों को वर्षगांठ मनाना बहुत भाता है। शायद, हमें लगता है कि सालाना जश्न मनाने के बाद सालभर की बाकी बातों को आसानी से भुलाया जा सकता है। लिहाजा, संसद पर हमले की दसवीं वर्षगांठ पर इस हादसे में जान गंवाने वाले शहीदों के प्रति भावुक आदरांजलियां व्यक्त की गईं, भले ही एक शहीद की विधवा को पेट्रोल पंप आवंटित होने में छह साल लग गए हों। अब देश एक...
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