ओम प्रकाश तिवारी, मुंबई। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई पर भी भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। झमाझम हो रही बारिश किसी भी वक्त मुंबई में पुणे के मालिन गांव से जैसे हालात पैदा कर सकती है। महानगर के 327 पहाड़ी क्षेत्रों में 22384 से ज्यादा झोपड़े आबाद हैं जो कभी भी भूस्खलन का शिकार हो सकते हैं। मुंबई झोपड़ पट्टी विकास बोर्ड ने अप्रैल 2010 में राज्य सरकार को अपनी...
More »SEARCH RESULT
बबुआ से बड़ा झुनझुना- विनोद कुमार
जनसत्ता 21 जुलाई, 2014 : आजादी के बाद हमने वयस्क मताधिकार पर आधारित भारतीय गणराज्य की स्थापना की। मूल अवधारणा यह रही कि हम एक ऐसी व्यवस्था बनाएंगे जिसके केंद्र में रहेगा देश का नागरिक। विधायिका उसके हित में कानून बनाएगी, कार्यपालिका उन कानूनों के दायरे में नागरिकों को एक विधि-सम्मत सुशासन मुहैया कराएगी, सेना बाह्य दुश्मनों से देश की सुरक्षा की गारंटी करेगी, पुलिस नागरिकों के जान-माल की रक्षा करेगी।...
More »साक्षात्कार:पर्यावरण को लेकर सरकार व समाज हो जागरूक
जंगल, जमीन हवा आदि प्रदूषित होते जा रहे हैं. धरती से लेकर आकाश तक कचरों को ढेर लगता जा रहा है. इसे लेकर दुनिया भर में चिंता व्यक्त की जा रही है. यह परिस्थिति कितनी गंभीर है और इससे कैसे निबटा जा सकता है, इन विषयों पर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पर्यावरणविद डॉ अरविंद कुमार से संदीप कुमार ने बातचीत की. डॉ कुमार मगध विश्वविद्यालय, बोध गया व विनोवा भावे विश्वविद्यालय...
More »जहर की खेती कब तक
मानव स्वास्थ्य : कीटनाशकों के अधिक प्रयोग से खाने-पीने के सामान हुए जहरीले यूरोप में भारतीय आम पर प्रतिबन्ध ने नीति निर्घारकों को सोचने का एक और मौका दिया है। रासायनिक खाद एवं कीटनाशकों के दुष्प्रभावों के खिलाफ पत्रिका लम्बे समय से मुहिम चलाता रहा है। अनेक शोध और अध्ययन बताते रहे हैं कि खाने-पीने की चीजों में जहर फैलता जा रहा है। सरकार से लेकर आम उपभोक्ता तक सभी को...
More »बदलते वातावरण के बीच खेती-बाड़ी की चुनौतियां- नई रिपोर्ट
देश की कृषि को दुनिया की कुल कृषि-भूमि का महज 2.4 फीसदी और कुल जल-संसाधन का सिर्फ 4.0 प्रतिशत हासिल है। तो, क्या इस सीमित संसाधन के बूते भारतीय कृषि दुनिया की 17.5 फीसदी आबादी(भारतीय) का पेट भरने की चुनौती सफलतापूर्वक निभा सकेगी ? हाल के सालों में इस चुनौती ने और भी ज्यादा गंभीर रुप धारण किया है क्योंकि वैश्विक तापन(ग्लोबल वार्मिंग) और उससे जुड़े पर्यावरणगत बदलावों के कारण देश...
More »