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पलायन कर पहुंचे मजदूरों से कोरोना वायरस का प्रसार कम

-इंडिया टूडे,  कोरोना संक्रमण के बढ़ते रफ्तार के बीच अच्छी खबर यह है कि पहली बार संक्रमितों की संख्या के मुकाबले ठीक हुए लोगों की संख्या में वृद्धि दर्ज की गई है. दूसरा तथ्य यह है कि जिन लोगों की यह आशंका थी कि पलायन करके वापस अपने राज्य पहुंचे मजदूरों से उनके राज्यों में कोरोना का कोहराम मचेगा, उनकी आशंका सही साबित होती नहीं दिख रही है. इसके उलट जिन...

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गन्ना किसानों की मुश्किलें बढ़ा रहा 'अमेरिकी फॉल आर्मीवर्म' कीट

-गांव कनेक्शन, किसानों की मुश्किलें कम नहीं हो रहीं हैं, लॉकडाउन और ओला, बारिश से किसान पहले से ही परेशान थे, अब किसानों के सामने नई मुसीबत आ गई। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में गन्ने की फसल को फॉल आर्मीवर्म नुकसान पहुंचा रहे हैं। तीन साल पहले अफ्रीका में मक्के की फसल बर्बाद करने वाला फॉल आर्मीवर्म भारत के कई राज्यों में पहुंच चुका है, अगर समय रहते इसका...

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मनरेगा :4 राज्यों और 2 संघशासित प्रदेशों में नहीं बढ़ी मजदूरी! कहीं 1 रुपये तो कहीं 2 रुपये की बढ़ोत्तरी !

सबकुछ बदलने के बाद भी आखिर वह क्या जो नहीं बदलता ? दार्शनिक मिजाज के इस सवाल का एकदम ही व्यावहारिक सा जवाब हो सकता है- मनरेगा की मजदूरी!  बात तनिक बुझौवल सी लगी तो इन तथ्यों पर गौर करें: साल 2019-20 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट के तहत दिहाड़ी मजदूरी की दर की अधिसूचना 26 मार्च को जारी हुई. अधिसूचना से जाहिर होता है कि गोवा(254रुपये), कर्नाटक(249 रुपये), केरल(271रुपये) तथा...

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चुनावों में पीछे छूटते असली मुद्दे- आशुतोष चतुर्वेदी

पांच राज्यों छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, मिजोरम, तेलंगाना और राजस्थान में विधानसभा चुनावों पर पूरे देश की निगाहें लगी हुईं हैं. नतीजे किस करवट बैठेंगे, इसको लेकर नेताओं की धड़कनें तेज हैं. छत्तीसगढ़ में 12 नवंबर को पहले चरण का मतदान है. छत्तीसगढ़ की प्रकृति झारखंड से बहुत मिलती-जुलती है, लेकिन राजनीतिक समीकरण अलग हैं. छत्तीसगढ और मध्य प्रदेश में भाजपा का दबदबा रहा है और वह पिछले पंद्रह साल से...

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मनरेगा: चार सालों में रोजगार देने में त्रिपुरा सबसे अव्वल, यूपी-बिहार बहुत पीछे

यूपी-बिहार और पंजाब-हरियाणा जैसे कई राज्यों को मनरेगा के कारगर क्रियान्वयन के मामले में त्रिपुरा से सबक लेने की जरुरत है. त्रिपुरा में बीते चार सालों (2014-15 से 2017-18) में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को औसतन लगभग 75 दिनों का रोजगार मिला जबकि इस अवधि में योजना के अंतर्गत रोजगार का अखिल भारतीय औसत महज 45.2 दिनों का रहा.   रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट के नये आंकड़े संकेत करते...

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