जनसत्ता 19 सितंबर, 2012: यूपीए सरकार ने एक झटके में ताबड़तोड़ डीजल-रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी से लेकर अर्थव्यवस्था के संवेदनशील क्षेत्रों को विदेशी पूंजी के लिए खोलने और सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों के विनिवेश जैसे कई बड़े और विवादास्पद फैसलों का एलान करके संकट में फंसी अर्थव्यवस्था पर ‘झटका उपचार’ (शॉक थेरेपी) को आजमाने की कोशिश की है। यह उपचार भारत में कोई पहली बार नहीं आजमाया जा रहा...
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पीड़ा के जंगल में आदिवासी- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 24 दिसंबर, 2011 : आजादी के बाद आदिवासी ने क्या हासिल किया, इस विषय पर राजस्थान के बूंदी में दो दिन की चर्चा थी। इस अवसर पर किसी वक्ता ने यह नहीं कहा कि अंग्रेजों के जाने के बाद आदिवासियों की जीवन-दशा में किसी किस्म का बुनियादी बदलाव आया है। फिर आदिवासियों की उम्मीद और इस व्यवस्था के प्रति भरोसे को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में...
More »बीच बहस में न्यूनतम मजदूरी
हालांकि केंद्र सरकार ने मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाले मजदूरी को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक से जोड़ने की बात मान ली है, फिर भी वह इस मामले में संविधानप्रदत्त न्यूनतम मजदूरी देने में संकोच कर रही है जबकि देश के कई सूबों में अब भी मनरेगा के अन्तर्गत दी जाने वाली मजदूरी न्यूतम मजदूरी से कम है। सरकार का तर्क है कि न्यूनतम मजदूरी दी गई तो बढ़ा हुआ वित्तीय...
More »विस्थापन
खास बातें- दुनिया में सबसे ज्यादा बड़े बांध बनाने वाले देशों में भारत तीसरे नंबर पर है। यहां अभी 3600 से ज्यादा बड़े बांधे हैं, जबकि 700 से ज्यादा अभी बनने की प्रक्रिया में हैं। भारत में बांधों की वजह से हुए विस्थापन के बारे में अलग अलग-अलग अनुमान हैं। दास और राव (1989) ने दावा किया कि भारत में बांध परियोजनाओं की वजह से दो करोड़ दस लाख लोग विस्थापित हुए। बड़े...
More »चुनौती से ज्यादा उपेक्षा के मारे
छत्तीसगढ़ के जंगलों में एक हफ्ता गुजारकर लौटे बृजेश पांडे बता रहे हैं कि देश की सबसे बड़ी चुनौती का मुकाबला करने के लिए तैनात सीआरपीएफ के जवानों के मनोबल की हालत क्या है बारिश लगातार हो रही है. कभी हल्की तो कभी तेज बौछार के साथ. संभल-संभलकर चलते हुए हमें तीन घंटे हो गए हैं. यहां-वहां देखते हुए, दुश्मन की तलाश करते हुए. दुनिया के सबसे बड़े अर्धसैनिक बलों में...
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