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क्या तीसरी लहर से पहले खुल पाएंगे ग्रामीण PHC और CHC में लटके ताले?

-जनपथ, कोरोना की दूसरी लहर का सामना करने के बाद जिंदा बचा समाज खुद अपनी पीठ थपथपा रहा है। समाज और यूं कहें कि व्यक्तिगत तौर पर सुकून इस बात का है कि इस बार बच गये लेकिन भीतर खौफ ये कि अगर अगली बारी हमारी हुई तो क्या होगा? खौफ इस बात का है कि जिस सरकार को वोट देकर तख्त पर बिठाया है वो तो राजनीति में व्यस्त है।...

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IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...

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गांव और गरीब राम भरोसे

-आउटलुक, “सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे से हम सब परिचित हैं, सरकार को मार्च 2020 में ही सचेत हो जाना चाहिए था कि महामारी का असर ग्रामीण क्षेत्र पर कितना भयावह हो सकता है” जब मैं ये पंक्तियां लिख रहा हूं, देश के ग्रामीण इलाकों से महामारी की वीभत्सता की अनेक तस्वीरें सामने आ चुकी हैं। हमने बिहार और उत्तर प्रदेश में पावन गंगा में बहती लाशों का हृदय विदारक दृश्य भी देखा है।...

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भारत की कोविड-19 इमरजेंसी: The Lancet का ताज़ा संपादकीय

-जनपथ, भारत के पीड़ा भरे दृश्‍यों को समझ पाना मुश्किल है। बीती 4 मई तक 20.2 मिलियन से ज्‍यादा कोविड-19 संक्रमण के मामले दर्ज किए गए यानी रोज़ाना का औसत 378000 मामले, जिनमें मौतों की संख्‍या 222000 थी जो जानकारों के मुताबिक वास्‍तविकता से बहुत कम आकलन है। अस्‍पताल मरीज़ों से पटे पड़े हैं, स्‍वास्‍थ्‍यकर्मी पस्‍त हो चुके हैं और संक्रमित हो रहे हैं। सोशल मीडिया पर ऑक्‍सीजन, अस्‍पताल के बिस्‍तर...

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असलियत को कबूल नहीं कर रही मोदी सरकार और भारतीय राज्यसत्ता फिर से लड़खड़ा रही है

-द प्रिंट, क्या भारतीय राज्यसत्ता विफल हो चुकी है? समाचार पत्रिका ‘इंडिया टुडे ’ का ऐसा ही मानना है. लेकिन मैं इसका विनम्रतापूर्वक खंडन करना चाहूंगा क्योंकि अगर ऐसा होता तो वह पत्रिका अपने आवरण पर इस आशय का शीर्षक न लगा पाती और मैं यह स्तंभ न लिख पाता. अगर ऐसा होता तो हम यह न जान पाते कि हम कितनी बुरी तरह विफल हो रहे हैं. जब तक किसी राष्ट्र का...

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