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COVID-19 की पहली लहर के दौरान ग्रामीण बिहार में अधिकांश परिवारों को आजीविका संकट का सामना करना पड़ा!

मोनाश विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया में सेंटर फॉर डेवलपमेंट इकोनॉमिक्स एंड सस्टेनेबिलिटी के अर्थशास्त्रियों और नई दिल्ली स्थित मानव विकास संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किए गए एक सर्वेक्षण आधारित शोध के अनुसार, महामारी की पहली लहर ने पिछले साल बिहार में ग्रामीण श्रमिकों (स्व-रोजगार सहित) की आजीविका पर विनाशकारी प्रभाव डाला था. अध्ययन के लेखकों द्वारा जारी एक हालिया प्रेसनोट से पता चलता है कि पिछले साल ग्रामीण बिहार में आजीविका...

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आवरण कथा/बैंकिंग व्यवस्था/भगोड़ों की मौज, भंवर में फंसे बैंक

-आउटलुक, “एनपीए बढ़ा, बैंकों को गहराते संकट से उबारने के उपाय ऊंट के मुंह में जीरे के सामान, गलतियों से सबक सीखने के प्रति लापरवाही, दिवालिया संहिता से सवालिया घेरे में बैंक, याराना पूंजीवाद और भगोड़ों पर कोई खास अंकुश नहीं” अजब जलवा है भगोड़ों का। 23 मई की रात अचानक खबर आई कि देश के बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले मोस्ट वांटेड भगोड़ों में से एक, मेहुल चोकसी...

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यूनेस्को साइंस रिपोर्ट 2021: रिसर्च और टेक्नोलॉजी डेवल्पमेंट भारत का भविष्य तय करेगी!

वैज्ञानिक ज्ञान ने भयानक कोरोनावायरस और इसके प्रसार से निपटने में बहुत मदद की है. रिकॉर्ड कम समय के भीतर, वैज्ञानिकों (वायरोलॉजिस्ट, एपिडेमियोलॉजिस्ट, बायोस्टैटिस्टियन, आदि सहित) और उनके शोध परिणामों ने आम लोगों को यह जानने में मदद की कि SARS-CoV-2 क्या है और यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में कैसे फैलता है. आम लोगों को अब यह पता चल गया है कि कैसे सरल तकनीक और व्यवहार में...

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महंगाई और महामारी: करोड़ों के हाथ आई गरीबी

-आउटलुक, “कोविड-19 से हर तबका प्रभावित, कोई बिजनेस बेचने तो कोई मेड का काम करने को मजबूर, लेकिन अमीरों की अमीरी भी बढ़ी” अभी एक ही दशक हुआ जब भारतीयों ने अपने खर्च के तौर-तरीके और जीवन शैली में बदलाव लाना शुरू किया था। वे बचत की परंपरागत सोच की जगह खर्च करने पर ज्यादा जोर दे रहे थे। भारतीयों की सोच में आए इस बदलाव पर पश्चिमी देशों का स्पष्ट प्रभाव...

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बेरोज़गार भारत एक पड़ताल: केंद्र और राज्य सरकारों के 60 लाख से अधिक स्वीकृत पद खाली

-न्यूजक्लिक, मोदी सरकार के कार्यकाल में जहाँ एक और बेरोजगारी इतनी अधिक हैं, कोई नई नौकरिया नहीं हैं, वहीं दूसरी और जो सरकारी पद पहले से स्वीकृत हैं उन पर भी नियुक्ति नहीं हो रही हैं। केंद्र तथा राज्य सरकारों के विभिन्न विभागों के आंकड़ों पर किये गए अध्ययन से पता चलता है कि रिक्त पदों कि संख्या 60 लाख से अधिक है।  भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेतृत्व वाली नरेंद्र मोदी सरकार और राज्य सरकारों...

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