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छत्तीसगढ़: बेचापाल में महीने भर से क्यों आंदोलनरत हैं हज़ारों ग्रामीण

-द वायर, छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के धुर नक्सल प्रभावित इलाके बेचापाल में पिछले 28 दिनों से हजारों ग्रामीण पुलिस कैंप के विरोध में बैठे हुए हैं. ग्रामीणों का कहना है कि गांव में पुलिस कैंप खुलता है तो उनकी मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. पुलिस कैंप के साथ बेचापाल समेत कई गांवों को ब्लॉक और जिला मुख्यालय से जोड़ने पक्की सड़क बन रही है जिसका विरोध भी ग्रामीण कर रहे हैं. ग्रामीणों...

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शहरीकरण, लैंगिक और सामाजिक परिवर्तन: महिलाओं की राजनीतिक वरीयताओं को आकार देने में मीडिया की भूमिका

-आइडियाज फॉर इंडिया, राजनीतिक वरीयताओं को तय करने में सूचना स्रोतों की क्या भूमिका होती है, और किन परिस्थितियों में महिलाएं अपनी राजनीतिक राय बनाने के लिए पुरुषों से अलग संज्ञानात्मक सोच रखती हैं? इसका पता लगाने हेतु, उत्तर भारत के दो शहरी समूहों के किये गए सर्वेक्षण डेटा का उपयोग करते हुए, यह लेख दर्शाता है कि रोजगार या अन्य गतिविधियों के माध्यम से घर के बाहर के महिलाओं के नेटवर्क का...

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दिल्ली के गरीब भूखे और हताश हैं, उनके पेट में भूख की 'आग' जल रही है

-न्यूजक्लिक, बढ़ते कर्ज़, महीनों का बकाया किराया, बेटी की शादी के लिए लिया गया कर्ज़ और अपने दो बेटों की शिक्षा पर होने वाले खर्च ने, हसनारा बेगम की रातों की नींद हराम कर रखी है और उसका परिवार दैनिक भोजन के इंतजाम के लिए संघर्ष कर रहा है। पश्चिम बंगाल के उत्तर दिनाजपुर की रहने वाली हसनारा बेगम दिल्ली के उन लाखों निवासियों में शामिल हैं जिनके पास राशन कार्ड नहीं...

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प्रथम दृष्टि: शराबबंदी के सवाल

-आउटलुक, “शराबबंदी की सफलता महज सियासी या प्रशासनिक उपायों से हासिल नहीं की जा सकती” अर्थशास्त्रियों के बीच पुरानी कहावत है कि ‘शराब वित्त मंत्री की सबसे अच्छी दोस्त और स्वास्थ्य मंत्री की सबसे बुरी दुश्मन है।’ सही भी है, क्योंकि यह राजस्व के बड़े स्रोतों में एक है, लेकिन इसके सेवन से बीमारी और मौत के आंकड़े डरावने हैं। इसलिए किसी भी लोक कल्याणकारी राज्य के लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचना...

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बच्चों को वापस स्कूल भेजने को लेकर लगातार चिंता में हैं अभिभावक और इसकी वजह सिर्फ कोविड ही नहीं है

-द प्रिंट, कोरोना महामारी के कारण उत्तर प्रदेश में लम्बे समय की स्कूल बंदी की वजह से छोटे छात्रों के लिए काफी अरसे तक चलने वाली वर्चुअल स्टडी के उपरांत सिंतबर महीने में शारीरिक उपस्थिति वाली कक्षाओं के दुबारा शुरू होने के बाद नोएडा के 10 वर्षीय छात्र जनमेजय सिंह ने सिर्फ 10 दिनों के लिए कक्षाओं में भाग लिया. साल के अंत में एक तीसरी कोविड लहर की आशंकाओं ने...

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