उत्तरी-पूर्वी दिल्ली में करावलनगर के औद्योगिक इलाके और उससे लगे क्षेत्र में वॉकर (छोटे बच्चों को चलने में मदद करने वाली साइकिल) और पालना बनाने वाली 14-15 छोटी-छोटी फ़ैक्ट्रियाँ हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियों में 10-15 मज़दूर और कुछ में 30-40 मज़दूर काम करते हैं। ज़्यादातर फ़ैक्ट्रियाँ दलित बस्ती में हैं, कुछ करावलनगर गाँव, पंचाल विहार और दयालपुर में स्थित हैं। इनमें काम करने वाले ज़्यादातर मज़दूर झारखण्ड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आये प्रवासी...
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मनरेगा 2.0 का शुभारंभ- नए दिशा-निर्देश
देश की सरकार ने मिहिर शाह समिति की सिफारिशों पर आधारित महात्मा गांधी नरेगा(एमजीएनएआरजीईए) से संबंधित नए दिशा-निर्देशों को औपचारिक रुप से लागू कर दिया है। नए दिशा-निर्देशों में संरक्षण-गतिविधियों के अन्तर्गत कई नए कामों को शामिल किया गया है, साथ ही ग्राम-पंचायत और ग्राम-सभा के हाथ मजबूत करने के प्रयास किए गए हैं। बहरहाल, जिन नए कामों को दिशा-निर्देश के अनुरुप शामिल किया गया है उसमें धान के सघनीकरण से जुड़ी गतिविधि (एसआरआई) शामिल नहीं...
More »बुजुर्गों के लिए इज्जत की जिन्दगी -आईए, एक अभियान का हिस्सा बनें
बुजुर्गों की जीवन-संध्या पूरी गरिमा और बिना किसी अभाव के बीते- यह हर सभ्य समाज का नैतिक दायित्व है। बुजुर्गों के प्रति इसी दायित्व-भाव से पेंशन परिषद् दिल्ली में जन्तर-मन्तर पर अगामी 7 मई से 11 मई(2012) तक एक अभियान के तहत धरने का आयोजन कर रहा है। धरने के आयोजन के पीछे मकसद एकदम सरल और सहज है, और इस मकसद को पूरा करने का वक्त अब आ चुका है। आगे की पंक्तियों को...
More »आज नकद कल रियायत- शिरीष खरे की रिपोर्ट( तहलका हिन्दी)
राजस्थान में अलवर जिले के कोटकासिम ब्लॉक का यह ओजली गांव है. यहां ग्राम सेवा सहकारी समिति की उचित मूल्य की दुकान पर तीन महीने पहले तक केरोसिन के लिए उपभोक्ताओं की भीड़ जमा हो जाती थी. पर अब उसी केरोसिन के नाम पर चारों ओर सन्नाटा पसर जाता है. दुकान के कर्मचारी महावीर यादव के मुताबिक इस सन्नाटे की वजह यह है कि जिला कलेक्टर के निर्देश पर केरोसिन...
More »अब हिंदी या मराठी में नहीं पढ़ पाएंगे नौनिहाल!
नागपुर. कॉन्वेंट व निजी स्कूलों से प्रतिस्पर्धा में पिछड़ रही मनपा स्कूलों ने भी अब इन्हें टक्कर देने का निर्णय लिया है। आगामी शैक्षणिक सत्र से मनपा पहली कक्षा से अंग्रेजी माध्यम आरंभ करने जा रही है। मराठी व हिंदी माध्यम अब नहीं होंगे। अंग्रेजी माध्यम शुरू होने के बाद पाठ्यक्रम में मातृभाषा (मराठी-हिंदी) का सिर्फ एक विषय रहेगा। शेष सभी विषय अंग्रेजी में होंगे। प्रतिस्पर्धा के चलते शहर में महानगरपालिका...
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