कृषि मंत्रालय के एक हालिया पुर्वानुमान में कहा गया है कि मौजूदा फसली-वर्ष में खाद्यान्न उत्पादन कमोबेश पिछले साल जितना बना रहेगा.(देखें नीचे की लिंक) गौरतलब है कि बीते मार्च महीने में हुई बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि से दस राज्यों में हुए फसलों के नुकसान और जारी सूखे बीच आशंका जतायी जाती रही है कि चालू फसली-वर्ष में खाद्यान्न उत्पादन में कमी आयेगी. 2014-15 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 252.02 मिलियन टन था...
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सब्जियों का न्यूनतम समर्थन मूल्य न होना किसानों के लिए है मुसीबत
सियासी उठापटक का प्रतीक बन चुका प्याज का अधिक उत्पादन अब किसानों को रुला रहा है। महाराष्ट्र में प्याज के किसानों का दर्द एक बार फिर उजागर है। हालांकि, उत्तर प्रदेश के फुटकर बाजार में यह अब भी 14 रुपये किलो बिक रहा है। यही स्थिति आलू और टमाटर को लेकर भी है। पिछले साल प्रदेश में आलू का बंपर उत्पादन हुआ। नतीजा यह रहा कि लागत नहीं मिलने की वजह...
More »कृषि क्षेत्र पर खर्च में भारत नेपाल और भूटान से भी पीछे-- नई रिपोर्ट
खेती पर सरकारी धन खर्च करने के मामले में भारत चीन से ही नहीं अपने पड़ोसी नेपाल, भूटान और बांग्लादेश से भी पीछे है. इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट के नये ग्लोबल फूड पॉलिसी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक 2013 में भारत में कुल सरकारी व्यय का केवल 6 प्रतिशत हिस्सा कृषि-क्षेत्र पर व्यय हुआ जबकि भूटान ने अपने कुल सरकारी व्यय का 13.6 प्रतिशत हिस्सा कृषि-क्षेत्र पर खर्च किया बांग्लादेश के लिए...
More »मृत किसानों के परिवार झेल रहे हैं अकाल सूखे का दंश
सुखे के चलते किसानों की कमर टूट गई है। मंजरा बांध में पानी न होने के कारण आस पास के जिलों- गांव को पानी नही मिल पा रहा है, जिस वजह से किसानों का बुरा हाल है और जिन किसानों ने आत्महत्या कर चुके है उनके परिवार को यह दंश झेलना पड़ रहा है। इस कथा को विस्तार से पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें ...
More »फसलों का नुकसान: मुआवजा पाने में कितने पेंच
क्या बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि की वजह से गेहूं और चने जैसे महत्वपूर्ण रबी-फसल के नुकसान की मार झेल छह राज्यों के किसानों को इतना मुआवजा मिल पाएगा कि उनके लागत की ही भरपायी हो सके ? प्रश्न के उत्तर के नीचे लिखे तथ्य पर गौर करें. एक क्विन्टल गेहूं को उपजाने और बाजार तक पहुंचाने में किसान को 1212 रुपये की लागत आती है, एक क्विन्टल चने के लिए यही खर्च...
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