नई दिल्ली। लगातार दो साल सूखे के बाद इस बार अच्छी बारिश के चलते देश का खाद्यान्न उत्पादन चालू फसल वर्ष 2016-17 में नई ऊंचाई पर पहुंच सकता है। कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने यह उम्मीद जताई है। वह यहां गुरुवार को रबी फसल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। सम्मेलन में राज्यों के कृषि अधिकारी हिस्सा ले रहे हैं। फसल वर्ष 2013-14 में अब तक का...
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अब खेती करने के लिए रूस जाएगा भारत
रूस भले ही भारत के दो बड़े दुश्मन देशों चीन और पाकिस्तान के साथ पींगें बढ़ा रहा हो, लेकिन भारत के साथ उसके रिश्तों के अलग मिजाज हैं। भारत जानता है कि वह अपनी सैन्य जरूरतों के लिए अब सिर्फ रूस के भरोसे नहीं रह सकता। ऐसे में भारत उसके साथ दोस्ती के नए आयाम खोजने में जुटा है। इस सिलसिले में भारत ने रूस में बड़े पैमाने पर पट्टे पर...
More »दलहन की बुवाई के रकबे में रिकार्ड वृद्धि !
खरीफ की मुख्य फसलों के सकल बुवाई क्षेत्र में पिछले खरीफ मौसम की तुलना में इस बार बढोत्तरी हुई है और सर्वाधिक उल्लेखनीय वृद्धि दलहन के रकबे में हुई है. इस माह जारी कृषि मंत्रालय के एक दस्तावेज के मुताबिक चावल, दाल और मोटहन की बुवाई का रकबा पिछले खरीफ सीजन(जुलाई से अक्तूबर 2015-16) की तुलना में इस बार 4.2 फीसद ज्यादा है.(देखें नीचे दी गई लिंक) दलहन का सकल बुवाई...
More »किसानों के लिए कसना होगी कमर- मृणाल पांडे
मृणाल पांडे। किसान से लेकर सरकार और बाजार तक इस बार खुश हैं कि मानसून अच्छा है। किंतु किसानी का भविष्य एक ही अच्छे मानसून से आमूलचूल नहीं सुधर सकता। खेतिहरों के जीवन में लगातार विकास के लिए स्तरीय शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, अनाज का बेहतर विपणन-भंडारण, मुनाफे के सही निवेश से जुड़ी कई तरह की मदद भी जरूरी होती है। किसानी को लाभ का सौदा बनाने की जिम्मेदारी आखिरकार राज्य...
More »मिट्टी ही मिट गई तो कहां खड़े होंगे हम - अनिल प्रकाश जोशी
मिट्टी से जुड़ी बहुत ही कहावतें हैं। इनमें एक है मिट्टी के मोल बिक जाने का मुहावरा, जो अब गलत साबित हो रहा है। अब जब मिट्टी तेजी से गायब हो रही है, तो हमें इसकी कीमत भी समझ में आ रही है। मिट्टी के खोने का सबसे बड़ा प्रमाण मानसून में मिलता है। वर्षा जल के पड़ते ही नदी, नाले, गाढ़-गदेरे जो अपना रंग बदल देते हैं, और हम...
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