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यह आत्महत्या ऐसे नहीं रुकेगी- चौ. राकेश टिकैत

जय जवान, जय किसान अथवा अन्नदाता देवो भवः जैसे नारों के साथ सत्ता में आने वाली सरकारें किसानों के प्रति हमेशा संवेदनहीन रही हैं। नहीं तो आज प्रत्येक बीस मिनट में एक किसान और कर्ज के कारण सालाना 12,000 किसान आत्महत्या करने को मजबूर नहीं होते! प्रधानमंत्री मोदी पुराने कानूनों को बदलने की बात जरूर कहते हैं, पर एनडीए सरकार के दस माह के कार्यकाल में किसान-विरोधी कानूनों को बदलने...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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केंद्रीय कारा के 130 बंदियों ने मांगी इच्छा मृत्यु

रांची : बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा, होटवार में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 130 बंदियों ने इच्छा मृत्यु की मांग की है. बंदियों ने इसे लेकर जेल अधीक्षक अशोक चौधरी को आवेदन दिया है. वहीं इसकी प्रतिलिपि सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश, राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, राज्यपाल व जेल आइजी सहित कई अधिकारियों को भेजी है. आजीवन कारावास की सजा काट चुके...

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नहीं थम रहा राज्य में आलू किसानों के जान देने का मामला, अब मालदा में खुदकुशी

मालदा: मालदा में भी एक आलू किसान ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली है. गुरुवार सुबह मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में आलू किसान ने दम तोड़ दिया. 22 वर्षीय मृत आलू किसान का नाम भगत राय है. वह बामनगोला थानांतर्गत जगद्दला ग्राम पंचायत के हांसपुकुर गांव का रहनेवाला था. इस घटना में स्थानीय पंचायत की ओर से ब्लॉक प्रशासन को विस्तृत रिपोर्ट नहीं दी गयी है. जिला शासक...

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शक्ल ही भद्दी हो तो आईना क्या करे? - शरद यादव

नैतिकता, स्त्री-पुरुष संबंधों और स्त्री से जुड़े तमाम सवालों को लेकर हमारे सामाजिक और राजनीतिक जीवन में खासकर खाए-अघाए तबके में पाखंड इस कदर हावी है कि वह अपनी तमाम कुंठाओं को तरह-तरह से छुपाता है और सच का या कड़वे सवालों का सामना करने से कतराता और घबराता है। इसलिए 'नईदुनिया" के 18 मार्च के अंक में श्री अमूल्य गांगुली ने मेरी आलोचना करते हुए जो लेख लिखा, उससे...

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